यूक्रेन से छात्रों को वापिस लाना सरकार की उपलब्धि नही जिम्मेवारी है।
लचर शिक्षा व्यवस्था के कारण अभिभावकों की बनी फुटबॉल।
शिक्षा के लिए इनैलो उपयुक्त नीति लाएगी।
कोरोनाकाल के वार्षिक शुल्क अदा न करने पर निजि स्कूलों द्वारा परीक्षा परिणाम रोकने, 134A के बच्चों का दाखिला न करने व नाजायज फीस वृद्धि को अनेक लेकर निजि स्कूलों के बच्चों के अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी से मिले। समस्या को विस्तार से सुनने के पश्चात जिला शिक्षा अधिकारी ने कहाकि वार्षिक शुल्क ऐडा न करने पर निजि स्कूल बच्चों की परीक्षा के परिणाम नही रोक सकते इस बारे जल्द ही लिखित आदेश जारी कर दिए जाएंगे। शिक्षा व्यवस्था बारे बोलते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि लचर व अस्पष्ट शिक्षा व्यवस्था और सरकार के उदासीन रवैये के कारण अभिभावकों की फुटबॉल बनी हुई है। 134A के बच्चों की परीक्षा के परिणाम को आए तीन माह से अधिक का समय हो गया है लेकिन अनेक स्कूलों के बच्चों के अभिभावक दाखिले के लिए कभी स्कूल तो कभी बीईओ-डीईओ के कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। कई बीजेपी के नेता यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने में अपनी उपलब्धि मैन रहे है और महिमा गायन कर रहे हैं उन्हें पता होना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक की रक्षा करना सरकार का नैतिक कर्तव्य व कानूनी जिम्मेवारी है। यूक्रेन से छात्रों को वापिस लेकर आना उपलब्धि नही, मेडिकल शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए की भारत का चिकित्सा का छात्र विदेश में जाए ही क्यों ? भारत को आज़ाद हुए 75 वर्ष हो गए हैं और अभी भी मेडिकल शिक्षा इतनी महंगी है कि मजबूरन मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्र यूक्रेन जैसे छोटे से देश मे जोकि 1990 में रशिया के भंग होने पर अस्तित्व में आया, में शिक्षा लेने को मजबूर हैं क्योंकि वहां एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 25 लाख के करीब खर्च आता है जबकि भारत मे खर्च इससे 4-5 गुना अधिक है। सोशल मीडिया पर आए यमुनानगर के जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र क्रमांक पीएस 21/151 का हवाला देते हुए उन्होंने कहाकि पत्र में स्पष्ट है कि कोई भी स्कूल वार्षिक शुल्क या विकास शुल्क अदा न करने के कारण किसी भी बच्चे का न तो परिणाम रोकेगा और न ही मार्कशीट रोकेगा लेकिन बहुत अफसोस कि बात है कि अम्बाला छावनी के ही कई स्कूलों ने पिछले वर्ष 10 कक्षा के परिणाम की मार्कशीट भी अभिभावकों को नही दी जिसकी लिखित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी को दी गयी। उन्होंने कहाकि कहने को तो शिक्षा अधिकार अधिनियम के द्वारा निशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया गया है लेकिन सरकार के उदासीन रवैये व नेताओं और स्कूल संचालकों के मधुर सम्बन्धो के कारण यह अधिकार धरातल पर बच्चों की नही मिल पाया। उन्होंने हरियाणा की जनता से वायदा किया कि इनैलो सरकार आने पर शिक्षा के लिए उपयुक्त नीति लाई जाएगी ताकि धरातल पर अंतिम छोर के बच्चे तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार पहुंच सके।