छिन्दवाड़ा(भगवानदीन साहू)- संस्कृत पुस्तौकोन्नति सभा द्वारा संचालित संत श्री आशारामजी आश्रम खजरी में आज सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन ऋषि पितृ देव के साथ- साथ शहीद हुये सैनिकों का विधिवत तर्पण किया। हमारे शास्त्रों में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है । हमारी उम्र का जब एक वर्ष पूर्ण होता है। तब पितृ लोक का एक दिन होता है। वे नींद से उठकर हमारे घर आते है । इसलिए उनकी तिथि पर उनका तर्पण करने का विधान है । किसी कारणवश वैदिक रूप से विधिवत तर्पण नहीं कर सकते तो श्रीमद भगवत गीता जी के सातवें अध्याय का पाठ कर पुण्य अर्पण करने का भी विधान है जिससे हमारे पितृ संतुष्ट होतें हैं। पितरों ने हमें नाम दिया , गोत्र दिया , शरीर दिया । हम सब उनके ऋणी हैं , उन सब को श्रद्धा से याद करना ही श्राध्द है । इस निमित प्रतिवर्ष खजरी आश्रम में यह आयोजन सम्पन्न होतें हैं। सभी साधकों ने कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुये सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या मनायी । आश्रम प्रबंधक द्वारा उच्च कोटि के ब्राम्हणों की एवं आचार्यों की व्यवस्था की गई जिन्होंने वैदिक रूप से पूजा अर्चना कर सभी का तर्पण करवाया । समिति के पदाधिकारियों ने कोरोना काल में जिले के प्रतिष्ठित गणमान्य नागरिकों एवं पत्रकारगणों के परिजन जिनका शरीर छुट गया है; उनका भी तर्पण किया । कार्यक्रम में हजारों लोगों ने उपस्थिति दर्ज की । सभी श्रद्धालुओं एवं ब्राह्मणों के भोजन की सेवा शक्ति ट्रस्ट द्वारा संचालित गुरुकुल के द्वारा की गई। इस दैवीय कार्य में अहमदाबाद आश्रम से आये उच्च कोटि के आचार्य लक्ष्मीकांत द्विवेदी, खजरी आश्रम के संचालक जयराम भाई समिति के अध्यक्ष मदन मोहन परसाई, गुरुकुल की संचालिका दर्शना खट्टर , महिला उत्थान आश्रम की संचालिका साध्वी नीलू बहन , लिंगा आश्रम की संचालिका साध्वी प्रतिमा बहन , साध्वी रेखा बहन, गुरुकुल प्रबंधक सुशील सिंह परिहार, युवा सेवा संघ के अध्यक्ष दीपक डोईफोडे मुख्य रूप से उपस्थित थे ।