दिल्ली (प्रेस की ताकत न्यूज डेस्क): कुवैत से 8 लाख भारतीयों के वापस आने की आशंकाओं के बीच अब अमेरिका से भी भारतीय छात्रों के लिए बुरी खबर आ रही है. अमेरिका सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को वापस घर भेजने की योजना पर विचार बना रहा है. अमेरिका का कहना है कि जिन अंतरराष्ट्रीय छात्रों की ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं, ऐसे में उनके पास अमेरिका में रुके रहने की कोई ठोस वजह नहीं है. अमेरिका प्रशासन ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को जल्द से जल्द सभी कोर्सेज ऑनलाइन शुरू करने के लिए भी कहा है.
इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट विभाग ने सोमवार को कहा कि अमेरिका एक रिस्क ऑपरेशन के तहत इन सभी छात्रों को जल्द से जल्द उनके देश वापस भेजने की तैयारी में है. अंतरराष्ट्रीय छात्रों के मद्देनजर कुछ कोर्सेज को ऑनलाइन ओनली यानी सिर्फ इंटरनेट के जरिए पढ़ाए जाने वाले कोर्सेज में बदला जा सकता है.
अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले से हजारों भारतीय छात्र सीधे तौर पर प्रभावित होगें. आपको बता दें कि अमेरिका में बड़ी संख्या में विदेशी छात्र यूनिवर्सिटीज में, ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में तथा नॉन अकेडमिक-वोकेशनल प्रोग्राम्स की पढ़ाई कर रहे हैं.
कोरोना संक्रमण के कारण अमेरिका की कई बड़ी यूनिवर्सिटियों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने भी अपने सभी कोर्स ऑनलाइन शुरू कर दिए हैं और कहा है कि कैंपस में रह रहे छात्रों को भी अब क्लास में जाने की जरूरत नहीं है. ऐसा होते ही अमेरिका के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे विदेशी छात्रों को वापस भेजने का रास्ता खुल गया है.
प्रोफेसरों का कहना है कि ये फैसला बेहद परेशान करने वाला है कि छात्रों को जबरदस्ती वापस भेजा जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई लोग ऐसे देशों से हैं जहां उनके कोर्सेज के मुताबिक पढ़ाई का माहौल ही नहीं है और ऑनलाइन पर्याप्त मदद नहीं मिल पाएगी.
वहीं इमीग्रेशन डिपार्टमेंट ने ऐलान कर दिया है कि कुछ खास स्टूडेंट वीजा वाले छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज शुरू होने के बाद अमेरिका में बने रहने की जरुरत नहीं है. ऐसे छात्रों को अमेरिका हर सेमेस्टर का वीजा उपलब्ध नहीं कराएगा और उन्हें घर लौट जाना चाहिए. फिलहाल अमेरिका की ज्यादातर यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन और इन-पर्सन मिक्स कोर्स चल रहे हैं, यानी पढ़ाई की जरुरत के हिसाब से छात्र के पास ऑनलाइन या फिर कैंपस जाने का विकल्प मौजूद है.
हालांकि अमेरिकी प्रशासन इसे पूरी तरह ऑनलाइन में बदलने की जिद कर रहा है. अमेरिकन काउंसिल ऑफ एजुकेशन के वाइस प्रेजिडेंट ब्रेड फार्न्सवर्थ का कहना है कि उन्हें सरकार का ये फैसला काफी चैंकाने वाला लगा है. उन्होंने कहा कि ये फैसला देश की 1800 यूनिवर्सिटियों के एकेडमिक स्टाफ और बच्चों के लिए कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा करेगा. इन कॉलेज और यूनिवर्सिटियों ने छात्रों से फीस ली है उन्हें कुछ वायदे किये हैं, उन सभी से कोरोना वायरस के बहाने नहीं मुकरा जा सकता.