खालसा हाईस्कूल अम्बाला शहर जो अम्बाला की सबसे पुरानी संस्था है, के आज नए सिरे से नवनिर्मित भवन का भव्य उद्घाटन किया गया। प्रातःकाल में श्री गुरूग्रंथ साहिब जी का प्रकाश करने के पश्चात विधिवत श्री सुखमणी साहिब जी का पठन किया गया। ततपश्चात गुरूद्वारा पंजोखरा साहिब के हजूरी रागी भाई गुरदित सिंह जी के रागी जत्थे ने शब्द कीर्तन द्वारा संगतों को निहाल किया। स्कूल के चेयरमैन जत्थेदार हरपाल सिंह मैम्बर एसजीपीसी ने संगत को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह संस्था केवल अम्बाला की न होकर हरियाणा प्रदेश की धरोहर है। जिसको बचाना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है। स्कूल को दोबारा से प्रारम्भ करने में स्कूल के सभी पुराने विद्यार्थियों, अम्बालावासियों, राजनैतिक, धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं विशेष कर सिख संस्थाओं का भरपूर सहयोग मिला है। जिसका हम स्कूल प्रबन्धक व खालसा मेन दोआब सदैव आभारी रहेगी। अभी तो शुरूआत है। आने वाले समय में अधूरे रहे कामों को शीघ्र अति शीघ्र पूरा कर सुचारू रूप से स्कूल को चलाया जाएगा।
अम्बाला के विधायक असीम गोयल की ओर से बोलते हुए अम्बाला के पार्षद एडवोकेट संदीप सचदेवा ने स्कूल आरम्भ करने के लिए अपनी ओर से बधाई दी तथा विधायक की ओर से पूर्ण योगदान का भरपूर आश्वासन दिया व अपनी ओर से भी बनता योगदान दिया। आज के कार्यक्रम में विधायक के पी.ए. सौरभ गुप्ता, मंदीप राणा, पूर्व मेयर रमेश मल, टोनी गोयल, पार्षद राजेश मेहता, पार्षद पति गुरप्रीत सिंह शाना, पूर्व पार्षद दलजीत सिंह भाटिया, जसबीर सिंह जस्सी, पार्षद सुंदर ढींगरा, मैनेजर गुरूद्वारा मंजी साहिब कुलदीप सिंह, खालसा काॅलेज पंजोखरा के प्रिंसीपल सुखदेव सिंह, पंजोखरा गुरूद्वारा साहिब के मैनेजर नरेन्द्र सिंह, चरणजीत सिंह टक्कर, एमएम सिंह, कर्नल मंजीत सिंह वालिया, टी.पी. सिंह, एडवोकेट दलजीत सिंह पुनिया, गु.हरिगोबिन्द सहिब के प्रिंसीपल दलजीत कौर आदि उपस्थित रहे। आज के कार्यक्रम को जत्थेदार रणबीर सिंह फौजी सीनियर अकाली नेता, जत्थेदार सुखदेव सिंह, गोबिन्दगढ़, सीनियर अकाली नेता, तेजिन्द्र सिंह वालिया आदि ने सम्बोधित किया।
अन्त में प्रबन्धक समिति के प्रधान, परमजीत सिंह भानोखेड़ी, उपप्रधान मोहन सिंह घुरकड़ा, अमरजीत सिंह बिन्द्रा, सचिव तरलोचन सिंह कैशियर, पीपीएस वोहरा ने सभी आए गणमान्य व्यक्तियों को शाल व यादगार फोटो देकर सम्मानित किया।
आज की स्टेज का संचालन शिरोमणि कमेटी के प्रचारक सतनाम सिंह व प्रो. गुरचरन सिंह ने जोगी ने बाखूबी किया। अंत में गुरू का लंगर अटूट बांटा गया।
