गुरसराय, झांसी(डा. पुष्पेंद्र सिंह चौहान)- योग वेदांत सेवा समिति द्वारा सनातन संस्कृति व संतों महात्माओं पर मंडराए खतरों पर चर्चा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें हिन्दू राष्ट्र सेना के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री धनंजय भाई देसाई ने पत्रकारों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आप के धर्म रक्षक संतों को बलात्कार जैसे जूठे केसों में फंसाकर कारावास में डाला जा रहा है। संतों, महापुरूषों के चरित्र के उपर लांछन लगाकर उन्हें कारागृह में डालना यह उन संतों के ऊपर संकट नहीं है अपितु भारतीय सभ्यता, धर्म, भारतीय जीवन पद्धती एवं सनातन धर्म को संकट में लाया गया है। जैसे सीमा के सैनिकों को अगर कोई बेहोश कर दे तो वह सैनिक संकट में नहीं है अपितु आपकी भारत की सीमा संकट में है।
ऐसे संत जो लगातार सनातन संस्कृति रक्षार्थ व धर्मांतरण के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं उन पर ही पिछले सालों में विधर्मियों द्वारा लक्ष्य करके हमले किए गए हैं। इनमे कांची पीठाधीश्वर श्री जयेंद्र सरस्वती, जगत गुरु स्वामी कृपालुजी महाराज, स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंद, स्वामी नित्यानंद जी महाराज आदि सभी धर्मयोद्धाओं पर ये जुल्म हुए हैं। ऐसे ही एक संत जो पिछले 50 से भी अधिक वर्षों से समाज सुधार का कार्य कर रहे थे व भारत को नष्ट करने में लगी हुई शक्तिओं का सबसे बड़ा रोड़ा बन गए थे वे हैं पूज्य संत श्री आशारामजी बापू। पूज्य बापूजी ने सस्ते स्वदेशी उत्तम गुणवत्ता युक्त उत्पाद उपलब्ध कराए, कई धर्मांतरित आदिवासियों की वापस घर वापसी कराई, कई गुरुकुल व बाल संस्कार केंद्र खुलवाए जिनमे काफी संख्या में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, पाश्चात्य संस्कृति के दुष्प्रभावों से बचने के लिए मातृ पितृ पूजन दिवस व तुलसी पूजन दिवस जैसे पर्वो का उद्घोष किया। पूज्य बापूजी हमे ब्रम्हचर्य सिखा रहे थे उच्च श्रेणी के वंश निर्माण करने हेतु उच्च कोटि का अध्यात्मिक योग सिखा रहे थे। इन्हीं सब कारण से विधर्मियो के रास्ते का कांटा बने हुए संत श्री आशारामजी बापू के ऊपर पोस्को एक्ट के तहत जूठा केस बनाकर उन्हें 8 साल से अधिक समय से कारावास में रखा है। 86 वर्ष की उम्र व स्वास्थ्य में गिरावट होने के बावजूद एक दिन के लिए भी पैरोल नहीं दी जा रही।
उन्होंने कहा की विधर्मियों की रणनीति है कि आपके धर्म के बारे में आपके कुल के बारे में आपके मन में प्रश्न चिन्ह खड़े कर दो। बस इसी के चलते बापूजी जैसे संतों के चरित्र हनन करने का प्रयास हुआ है। वास्तव में आध्यात्मिक स्तर पे देखेंगे तो वो योगपुरुष हैं, भारतीय परंपराओं के श्रेष्ठ गुरु हैं। ऐसे महात्माओं के उपर लांछन लगाकर धर्म को लक्ष्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज आसाराम बापू अंदर नहीं है हमारे कुल की, हमारे धर्म की, हमारे राष्ट्र की सुरक्षा प्रणाली अंदर है। आशारामजी बापू जैसे संतों को न्याय दिलाना केवल उनके शिष्यों का ही दायित्व नहीं है बल्कि उन सभी भारतीयों का दायित्व है जो इस भारत भूमि को पुण्य भूमि, देवभूमी मानते हैं। हमारे कुल का दायित्व है। उन्होंने सभी भारतीयों से आव्हान किया कि अभी 8-9 साल हुए हैं, अब जागृत हो जाओ। किसान आंदोलन अगर केंद्र को झुका सकता है तो असली हिंदुत्व भारत में संतों को उनका खोया सम्मान वापस दिलाकर धर्म राष्ट्र क्यों नहीं ला सकता है।
पत्रकारों द्वारा न्यायप्रक्रिया पर अविश्वास के प्रश्न पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि न्यायालय पर अविश्वास तो उन्होंने किया है जिन लोगों ने बिना अन्वेषण किए बापूजी पर अशलील विडियोज बनाए, वेब सीरीज बनाई। उन्होंने मीडिया बंधुओं से आव्हान किया कि मीडिया लोकतंत्र का चतुर्थ स्तंभ है इसलिए मीडिया इस विषय पर एक निष्पक्ष अन्वेषण कर समाज के सामने संतों की सच्ची छवि प्रस्तुत करे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि आजकल हिंदु राष्ट्र का दौर चल पड़ा है। उन्होंने प्रश्न रखा कि आप बिना हिन्दू संतो के हिन्दू राष्ट्र कैसे बनाओगे। संत कारावास में हों एवं हम स्वपन देखें हिन्दू राष्ट्र का तो वह बिना संतों के सम्भव नहीं है।