छिंदवाड़ा(भगवानदीन साहू)- सामाजिक संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयोग नई दिल्ली के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपकर परिसीमन पर पारदर्शिता की मांग की। ज्ञापन में बताया कि संविधान के अनुसार देश के अन्य हिस्सों में जनसँख्या के आधार पर प्रत्येक 10 वर्षों में परिसीमन का प्रावधान है। सन 2002 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। सन 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व जिले में भी परिसीमन की पूर्ण संभावना है छिंदवाड़ा जिला गत 35 वर्षों से कांग्रेस का गढ़ रहा है कमलनाथ की कर्मभूमि रहा है पड़ोसी जिले बैतूल सिवनी बालाघाट से तुलनात्मक अध्ययन से ज्ञात होता है। कि जिले में अनगिनत विकास कार्य हुए हैं जिसका श्रेय कमलनाथ को जाता है वर्तमान में केंद्र सरकार राजनीति के सारे दांव पेच का भरपूर इस्तेमाल कर रही है जो राजनीति में जायज भी है जिले में परिसीमन होता है तो यह सीट आदिवासी बाहुल्य घोषित हो सकती है ऐसी परिस्थिति में कमलनाथ और नकुल नाथ का चुनाव लड़ने पर पाबंदी हो जाएगी कमलनाथ और नकुलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव न लड़े इसकी विस्तृत तैयारी केंद्रीय भाजपा के रणनीतिकार कर चुके हैं भाजपा पिछले दरवाजे से प्रवेश करना चाहती हैं इसका उदाहरण सुश्री अनसुइया उइके है जिन्हें आदिवासी कोटे के तहत पहले अनुसूचित जनजाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया बाद में छत्तीसगढ़ का राज्यपाल। जबकि वह इस काबिल नहीं है एक प्लान के तहत सुश्री उइके छत्तीसगढ़ का कामकाज छोड़कर बार-बार छिंदवाड़ा आती है यहां पदस्थ अधिकारियों और राजनेताओं पर दबाव बनाती है जिससे स्थानीय नेताओं का मनोबल कम होता है हाल ही में एक प्लान के तहत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जबलपुर आगमन हुआ और उनके ही इशारे पर छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम गोंड राजा शंकर शाह के नाम पर किया गया मेरा किसी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना देना नहीं है पर हालात यही है आदिवासियों के हितो के साथ साथ जिले के लगभग 24 लाख लोगों के हितों का भी ध्यान रखा जाए साथ ही जिले के विकास में भी ध्यान दिया जाए कृपया उचित कार्यवाही करें।