स्कूल सेवा का माध्यम है कोई उद्योग नही।
निजि स्कूलों का करोड़ो रूपये टैक्स माफ और बच्चों की फीस पूरी।
निजी स्कूलों को टैक्स माफ तो आम जनता का क्यो नहीं ?
निजी स्कूलों की वार्षिक शुल्क व फीस वृद्धि के मामले में अभिभावकों का साथ देते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि सरकार को निजी स्कूलों की चिंता है अभिभावकों की नही। कोरोनाकाल में आम व्यक्ति का जीना दुश्वार हुआ है, रोजगार व कमाई के स्त्रोत खत्म हुए हैं, बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के कारण जहां अभिभावकों के इंटरनेट के खर्चे बढ़े हैं वहीं महंगे मोबाइल व लैपटॉप बच्चों को लेकर देना मजबूरी का सौदा बना। इतना सबकुछ होने के पश्चात बच्चे मोबाइल व इंटरनेट के आदि हो गए जिसके कारण उनकी आंखों की रोशनी भी कम हुई और दूसरी तरफ निजी स्कूलों के कोरोनाकाल में स्थायी व चल खर्चो में कमी आई, बिजली का बिल,गाड़ियों के डीजल व ड्राइवर का खर्च तो न के बराबर रह गया, फिर भी इन स्कूलों ने बच्चों को न तो ट्यूशन फीस में ओर न ही वार्षिक शुल्क में कोई रियायत दी। उल्टा फीस में 50 से 80 प्रतिशत तक ट्यूशन फीस की वृद्धि कर दी, कई स्कूलों ने तो वार्षिक शुल्क को ट्यूशन फीस में जमा करके 12 किश्तों में विभाजित करके नई ट्यूशन फीस लागू कर दी। इतना सबकुछ होने के बावजूद भी सरकार मूक दर्शक तो बनी ही रही साथ ही कोरोनाकाल का करोड़ो रूपये प्रॉपर्टी टैक्स भी सरकार ने निजी स्कूलों का माफ कर दिया। अर्बन लोकल बॉडी के पत्र क्रमांक 8/19/2021 दिनांक 6/12/2021 के निजि शिक्षण संस्थानों का असेसमेंट वर्ष 2021-22 का प्रोपर्टी टैक्स माफ कर दिया गया। जन सूचना अधिकार अधिनियम के 2005 के तहत प्राप्त सूचना अनुसार अम्बाला छावनी के स्पोर्ट्स ग्राउंड एसडी सभा का 82,500 रुपये, कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मेरी का 1,37,500 रुपये, डीएवी पब्लिक स्कूल का 82,500 रुपये, एसडी कॉलेज सोसाइटी के 2,75,000 रूपये, लार्ड महावीर पब्लिक स्कूल का 1,37,500 रुपये माफ किया गया। करोड़ो रूपये टैक्स माफ करने वाले मंत्री ने क्या यह भी देखा कि निजी स्कूलों ने कोरोनाकाल में बच्चों को क्या छूट दी ? शिक्षा सेवा का माध्यम है लाभ कमाने की विष्य वस्तु नही लेकिन सरकार अप्रत्यक्ष रूप से निजी शिक्षा संस्थानों को लाभन्वित करने के साथ साथ इनके विकास व विस्तार में सहयोग कर रही है। शिक्षा का अधिकार एक मजाक बनकर रह गया है। अचानक बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था बनाए धारा 134A की समाप्ति के नोटिफिकेशन जारी करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। जिन बच्चों का पहले ही या पुर के वर्षों में धारा 134A के तहत महंगे स्कूलों का दाखिला हो चुका है उनके गरीब अभिभावक आगे इन महंगे स्कूलों की फीस व अन्य चार्जेज कैसे अदा करेंगे यह चिंता का विषय है। पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया का नारा धरातल पर सफल होगा तभी भारत विश्वगुरु बन सकता है लेकिन यहां के सत्तासीन नेता शायद यह भूल गए हैं कि भारत मे लोकतंत्र है, यहां राजा माँ के पेट से पैदा नही होता बल्कि जनता चुनती है। कितने अफसोस कि बात है कि भारत मे महंगी मेडिकल शिक्षा के कारण यूक्रेन जैसे छोटे से देश मे हमारे बच्चे मेडिकल शिक्षा के लिए जाते हैं। मोके के सरकारों के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात नही हो सकती। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार धरातल पर देखे तो आज प्रदेश की बेटियां या तो सड़को पर बैठी है या बेरोजगारी के कारण घर पर हैं। आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर व ऐएनएम वर्कर इनका प्रमाण है। उन्होंने कहाकि इनैलो सरकार आने पर सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के मुकाबले अधिक विकसित तो किया ही जाएगा साथ ही निजी स्कूलों के सम्बंध में भी ऐसी नीति बनाई जाएगी जिससे प्रत्येक बच्चे की उत्तम व रोजगारपरक शिक्षा तो मिले ही साथ ही शिक्षा का व्यवसायीकरण भी बन्द हो।