क्या राहत पैकेज मिलने के बाद पटरी पर लौट आएगा एम.एस.एम.ई. सैक्टर?
– 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं छोटे उद्योग
– 45 लाख यूनिट्स को इस राहत पैकेज से फायदा होगा
– 31 अक्तूबर 2020 तक ऋण लेने के लिए गारंटी की जरूरत नहीं
– 4 वर्ष होगी कर्ज समय सीमा, पहले वर्ष नहीं चुकाना होगा मूलधन
संगरूर, (सुभाष भारती):
कोरोना संकट में लॉकडाऊन के चलते देश की अर्थ-व्यवस्था चौपट हो गई। तहस-नहस हुई अर्थ-व्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए केन्द्र सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। लॉकडाऊन के तीसरे चरण में प्रधानमंत्री नरिन्द्र मोदी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रूपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की जिसे आत्मनिर्भर भारत अभियान का नाम दिया गया है। राहत पैकेज का अनावरण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा किया गया है। क्या यह राहत पैकेज सूक्षम, लघु और मध्यम उद्यमों को गति दे पाएगा? क्या इन प्रस्तावों से बैंकों के लिए सूक्षम, लघु और मध्यम उद्यमों (एम.एस.एम.ई), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एन.बी.एफ.सी) कोऋण देना आसान होगा? इस पैकेज से आम आदमी को क्या लाभ होगा। ये कुछ सवाल उद्यमियों के मन में उठ रहे हैं। इन सवालों के उत्तर जानने के लिए पहले राहत पैकेज के उद्देश्य को समझना जरूरी है। सरकार ने छोटे उद्योगों (एम.एस.एम.ई) को कोलैक्ट्रल-फ्री ऋण देने की पेशकश की है, यानी इस पर किसी तरह की कोई गारंटी नहीं ली जाएगी। 12 महीने तक मूलधन को चुकाने की जरूरत नहीं होगी। सभी एम.एस.एम.ई. 100 करोड़ तक के टर्नओवर वाले और 25 प्रतिशत तक के आऊटस्टैंडिंग क्रैडिट (बकाया ऋण) के साथ 29 फरवरी 2020 तक कुल आऊटस्टैंडिंग क्रैडिट का 20 प्रतिशत तक ऋण लेने के लिए पात्र होंगे। इन ऋणों का कार्यकाल चार वर्ष का होगा और योजना 31 अक्तूबर तक खुली रहेगी। एम.एस.एम.ई. को 3 लाख करोड़ रुपये कोलैक्ट्रल फ्री ऑटोमैटिक लोन दिया जाएगा।
छोटे उद्योगों के आकार और क्षमता का विस्तार होगा
इन इकाईयों के प्रमोटरों को अपनी इक्विटी बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए एक आंशिक क्रैडिट गारंटी योजना का विस्तार किया गया है। एम.एस.एम.ई. के लिए क्रैडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के माध्यम से कुल 20 हजार करोड़ रूपये की फंडिंग की जाएगी, जिसके तहत बैंक प्रमोटरों को पैसा उधार देंगे, जिन्हें उनके व्यवसायों में इक्विटी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियों (एन.पी.ए.) के साथ लगभग 2 लाख एम.एस.एम.ई. को इससे लाभन्वित होने का अनुमान है। सी.जी.टी.एम.एस.ई. बैंकों को आंशिक क्रैडिट गारंटी प्रदान करेगा। फंड सिस्टम के माध्यम से एम.एस.एम.ई. में इक्विटी को तेज करने का भी प्रस्ताव है, जहां सरकार 10 हजार करोड़ रूपये प्रारंभिक कोष के रूप में प्रदान करेगी। इसे उठाने के लिए 50 हजार करोड़ रूपये का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसका इस्तेमाल फंड के मुख्य फंड डॉटर फंड के जरिये इक्विटी की सख्त जरूरत में एम.एस.एम.ई. का समर्थन करने के लिए किया जाएगा। इसका उद्देश्य इक्विटी के साथ एम.एस.एम.ई. के आकार और क्षमता का विस्तार करना और उन्हें स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने में मदद करना है।
एन.बी.एफ.सी के लिए क्या प्रस्ताव है?
एन.बी.एफ.सी हाऊसिंग फाइनांस कंपनियों और माइक्रो फाइनांस संस्थानों को डेबट मार्कीट में विश्वास के संकट के कारण डेब कैपिटल (ऋण पूंजी) जुटाने में मुश्किल हो रही है, इसलिए सरकार ने प्राथमिक और द्वितीय दोनों बाजारों से निवेश ग्रेड ऋण पत्र लेने के लिए 30 हजार करोड़ रूपये की एक विशेष तरलता योजना की घोषणा की है। इस तरह के पेपर की पूरी गारंटी सरकार को होगी। इससे उक्त श्रेणी के उधारकर्ताओं के लिए बाजार में कम विश्वास चक्र टूटने की उम्मीद है। इसके इलावा ऋण लेने के लिए लो रेटेड फाइनांस कंपनियों की मदद करने के लिए, मौजूदा आंशिक ऋण गारंटी योजना को प्राथमिक बाजार डेबट पेपर को कवर करने के लिए बढ़ाया गया है, जिसमें पहले 20 प्रतिशत का नुक्सान सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इस आंशिक क्रैडिट गारंटी स्कीम 2.0 के लिए कुल 45 हजार करोड़ रूपये अलग रखे गए हैं, जोकि पेपर रेटेड ए.ए. और नीचे और यहां तक कि बिना पेपर वाले तरलता की पेशकश करेगा।
छोटे उद्यमों को क्या लाभ होगा?
यह राहत पैकेज जीरो कैश फ्लो (शून्य नकदी प्रवाह) से प्रभावित छोटे उद्यमों के लिए प्रारंभिक बीज धन (अनीशियल सीड मनी) के रूप में कार्य करेगा। यह ऋण उद्यमियों को कच्चा माल खरीदने, शुरूआती बिलों का भुगतान करने और कर्मचारियों को दैनिक वेतन देने में मदद करेगा।
संक्षेप में यह उनके व्यवसायों का फिर से सर्कल चलाने के लिए कार्यशील पूंजी की तरह होगा। हालांकि, बैंक उधारकर्ताओं को इस श्रेणी के लिए जोखिम उठाने को तैयार नहीं हुए हैं क्योंकि उन्हें डर है कि पैसा वापस नहीं किया जाएगा। इन छोटे व्यवसायों ने अपनी सभी परिसम्पतियों को पहले से ही दूसरे ऋणों के लिए गिरवी रख दिया है और उनके पास गिरवी रखने के लिए अधिक सम्पति नहीं है। इन लॉगजाम को तोडऩे के लिए सरकार ने कहा है कि वह बैंकों को 3 लाख करोड़ तक का बैकस्टॉप देगी और इन ऋणों के लिए गारंटी की जरूरत नहीं है। इससे बैंकों को अब उधारकर्ताओं की इस श्रेणी की सहायता करने में अधिक सुविधा होने की उम्मीद है क्योंकि जोखिम शून्य है (चूंकि केन्द्र सरकार द्वारा ऋण की गारंटी दी जाती है)। यह पिछले तीन चरणों की घोषणाओं में सबसे बड़ा प्रस्ताव है जो आतम-निर्भर भारत अभियान के तहत है और छोटे व्यवसायों को इससे बड़े पैमाने पर लाभ होने की उम्मीद है। इस प्रस्ताव से लगभग 45 लाख एम.एस.एम.ई. को लाभ मिलने की उम्मीद है।
एम.एस.एम.ई. की परिभाषा में बदलाव
इसके बाद एम.एस.एम.ई. को उनके निवेश पर आधारित नहीं, बल्कि उनके टर्नओवर के आधार पर परिभाषित किया जाएगा। परिभाषा को बदल दिया गया है और विनिर्माण और सेवा इकाइयों के बीच मौजूदा अंतर को समाप्त कर दिया गया है। इसके बाद 1 करोड़ तक के निवेश वाली इकाई और 5 करोड़ रूपए का टर्नओवर एक माइक्रो यूनिट के रूप में, 10 करोड़ तक का निवेश और 50 करोड़ तक का टर्नओवर, एक छोटी इकाई के रूप में क्वालीफाई करेगा? और 100 करोड़ तक का कारोबार एक मध्यम उद्यम के रूप में क्वालीफाई करेगा। उद्योग की यह लंबे समय से मांग है कि निवेश की सीमा को बढ़ाया जाए, क्योंकि मुद्रास्फीति के साथ, इकाईयां अकसर लिमिट पार करती हैं जो उन्हें लाभ में लायेंगी, इसे रोकने के लिए वे या तो अपने संचालन को कम स्तर पर चलाते हैं या कई इकाईयों को शामिल करते हैं ताकि टर्नओवर को इस तरह से वितरित किया जाए कि वे उस लिमिट के भीतर रहें तो उन्हें लाभ देगा। निवेश के लिए टर्नओवर मानदंड जोडऩे के निर्णय को एक अच्छे निर्णय के रूप में देखा जाता है क्योंकि ऐसी इकाईयां है जो बड़े राज्व को पोस्ट करने के लिए एक छोटी पूंजी का लाभ उठाती हैं।
आम आदमी के लिए ये हैं उपाय
लॉकडाऊन के दौरान मार्च महीने में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की घोषणा की गई थी, तब सरकार ने 100 से कम श्रमिकों को रोजगार देने वाली इकाईयों और 15 हजार रूपये मासिक वेतन लेने वाले कर्मचारियों के लिए तीन महीने तक 24 प्रतिशत भविष्य निधि योगदान (नियोक्ता + कर्मचारी) का भुगतान करने की पेशकश की थी। अब इसे अगस्त तक के लिए तीन महीने ओर बढ़ा दिया गया है। कैश इन हैंड बढ़ाने के लिए अगले 3 महीनों के लिए वैधानिक (और ऊपर के प्रतिष्ठानों की श्रेणी में नहीं) में कार्यरत लोगों के लिए वैधानिक पीएफ योगदान को घटाकर 10 प्रतिशत (अब 12 प्रतिशत से) कर दिया गया है इससे 4.3 करोड़ लोगों और 6.5 लाख प्रतिष्ठानों को लाभ होने की उम्मीद है और कुल 6750 करोड़ नकदी जारी होगी।
उपरोक्त के इलावा सभी तरह की प्राप्तियों पर टीडीएस और टीसीएस दर को 25 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। इस प्रकार ठेकेदारों, पेशेवर शुल्क, किराया, ब्याज, कमीशन, ब्रोकरेज आदि के भुगतान में टीडीएस 25 प्रतिशत कम होगा। मूल्य में 10 लाख से अधिक की कार खरीदते समय भुगतान किया गया टीसीएस और सम्पत्ति लेन-देन में एकत्र टीसीएस भी कम होगा। कर्मचारियों को मिलने वाले मासिक वेतन पर कम टीडीएस लागू नहीं होता है, ऐसे मामलों में जहां टीडीएस/टीसीएस कम किया गया है, कर देयता कम नहीं है। यह रिटर्न दाखिल करते समय या अग्रिम कर का भुगतान करते समय देय होगा। विचार केवल लोगों को तत्काल नकद राहत देने का है। निचले टीडीएस / टीसीएस सही समय पर किक करते हैं और 31 मार्च 2021 तक रहेंगे।