आज बहुत ही विकट स्थिति और दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आखिर बिधुत विभाग को निजिकरण के हाथों में देने के लिए सरकार तटस्थ है और लोकसभा में अमेंडमेंट 20201 को बार बार चर्चा एवं पारित करने के लिए लाया जा रहा है जबकि सरकार घाटे का हवाला देकर निजी कम्पनियों को देना मक़सद है ,निजिकरण से जहां हम कर्मचारियों के सेवा शर्तों में अत्यधिक असर देखने को पड़ेगा और बिजली कम्पनी के मालिक अपने मनमर्जी से कर्मचारियों का प्रयोग करेंगे और उन पर कोई भी हम कर्मचारी वर्ग का अधिकार नहीं रहेगा और कर्मचारी वर्ग एक कठपुतली की तरह बनकर रह जाएंगे, आज हम भारत सरकार से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते है कि हमारे अधिकारों और भविष्य पर सरकार कुठाराघात ना करें आज जहां निजिकरण से समस्त कर्मचारी वर्ग पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और मनमर्जी से किसी को पदस्थापित एवं बर्खास्त किया जाएगा वहीं कर्मचारी वर्ग को आर्थिक नुक्सान भी झेलना होगा और विभाग का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा जब वहां पर किसी कम्पनी का पूर्णतः अधिकार हो जाएगा और कर्मचारियों के परिवार और भविष्य पर भी विपरीत प्रभाव देखने को मिलेगा, साथ ही हम कर्मचारी सरकार से अनुरोध करते है कि आप बिजली विभाग के घाटों पर चल रहे ढांचे को मजबूत एवं सुदृढ़ करने के लिए कड़े कदम उठाए आज जहां हिमाचल जैसा प्रदेश जो बिधुत निर्यात कई प्रदेशों में करता है और जिसे खड़ा करने में समस्त कर्मचारी वर्ग का विशेष बहुमूल्य योगदान है आज वही केन्द्र सरकार प्रदेश बिधुत विभाग को निजी हाथों में सोपने के लिए लालायित है आज जहां हर कर्मचारी वर्ग निजिकरण से प्रभावित होगा वहीं उपभोक्ताओं पर भी विपरीत प्रभाव देखने को मिलेंगे जब बिजली कम्पनियां की मनमर्जी से उपभोक्ताओं पर बिधुत दरों में इजाफा देखने को मिलेगा आज जहां सरकार उपभोक्ताओं को सब्सिडी देकर विभिन्न दरो में रियायत देती है वहीं निजिकरण होने से सारी सब्सिडी दरकिनार करके उपभोक्ताओं से मनमर्जी की दरें प्राप्त कि जाएगी जो कि उपभोक्ताओं और गरीब लोगों पर बहुत ही अधिक आर्थिक बोझ पडना लाजमी हो जाएगा हम सरकार से अनुरोध करते है कि सरकार हमारी भावनाओं ओर हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ ना करें मजबूरन हमें आन्दोलन का ही रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा आज जहां चण्डीगढ़ जेसे केन्द्र शासित प्रदेश का बिजली बोर्ड को जहां कई गुना लाभ में चल रही थी तो उसे भी निजिकरण कर दिया और ऐसे अनेकों प्रदेश है जिनके बिजली विभाग को पूरी तरह से निजी हाथों में सोप दिया गया है और अब हिमाचल के बिजली विभाग को भी केंद्र सरकार निजिकरण को सोपने की इच्छुक है हम कर्मचारी वर्ग आज हाथ जोडकर निवेदन करते है कि सरकार अपने इस बिना सोचे समझे और स्थानीय प्रदेश की परिस्थितियों को ना देखकर हमारे अधिकारों एवं भविष्य पर कुठाराघात ना करें हमें आशा है कि सरकार हमारे इस गंभीर एवं भविष्य को लेकर जरूर पुनर्विचार करेगी ताकि हम सभी कर्मचारियों को ओर उपभोक्ताओं पर विपरीत प्रभाव ना पड़े । लेखक एवं निवेदक – हेमराज राणा बिधुत कर्मी सिरमौर