चैत्र नवरात्रि की नवमी दिवस पर श्री महाकाली मां दुखभंजनी मंदिर में नव कुंडीय महायज्ञ में आहुतियां डालते हुए श्रद्धालुओं ने लगातार 8 दिन तक रखे गए व्रत द्वारा की गई मां की उपासना का फल प्राप्त करते हुए रिद्धि सिद्धि का दान लिया।
मां दुर्गा जी की नवम शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है और यह भक्तों की रक्षा करने वाला रूप है। यह सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली है और नवमी के दिन इनकी आराधना की जाती है। इस दिन पूरी निष्ठा और भावना के साथ साधना करने वाले साधक को महामाई मुंह मांगी मुराद पूरी करती है। सृष्टि में कोई भी वस्तु उनके लिए अपर्याप्त नहीं रहती। संपूर्ण ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने की शक्ति साधक को प्राप्त होती है। भागवत पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इसी दिन मां भगवती की कृपा से इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकंपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर नारी स्वरूप बना था जिसके कारण वे जगत में अर्धनारीश्वर के रूप में जाने जाते हैं।
मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं और इनका वाहन सिंह है। यह कमल पुष्प पर भी विराजमान रहती है। जो श्रद्धालु जन नवरात्रों में व्रत धारण करते हुए मां भगवती की आराधना करते हैं उन पर मां भगवती की असीम कृपा होती है और वे इस नश्वर लोक के आवागमन चक्कर से मुक्त हो जाते हैं।
आज श्री महाकाली मां दुखभंजनी मंदिर में नव कुंडी महायज्ञ के पश्चात अष्टमी पर की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों को पुरस्कार वितरण किया गया जिसमें पवन किशोरी जी, गौतम शर्मा , अनीता शर्मा, अर्पित अग्रवाल ,रामपाल सिंगला ,विनय भोला, राजेश अग्रवाल, महिंद्र सिंह रिंकू, हरिंदर शर्मा तथा समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने इनाम वितरित किए। महायज्ञ के पश्चात मां भगवती का विशाल भंडारा भक्तों में वितरित किया गया।
नवरात्रों के समापन संध्या पर विश्व शांति सेवा एवं सम्मान संगठन की ओर से मंदिर परिसर में लगाए गए नव दिवसीय मेडिकल कैंप के लिए मंदिर कमेटी की ओर से संगठन का आभार व्यक्त किया गया और संगठन के सभी कार्यकर्ताओं की टीम को सम्मानित किया गया।