दुकानों के तोड़ने व बनाने की विजिलेंस जांच जरूरी।
किसके आदेश से बन रही नई दुकानें इसकी जांच होनी जरूरी।
जगाधरी रोड पर सड़क चौड़ी करने के नाम पर नगरपरिषद द्वारा अपनी ही दुकानें तोड़कर दोबारा बनाए जाने की प्रक्रिया को शक के दायरे में लाते हुए युवा इनैलो नेता एडवोकेट दमनप्रीत सिंह ने कहाकि अम्बाला जनता जानना चाहती है कि नगरपरिषद के बाहर बनी दुकानें तोड़कर पीछे करने के पीछे की मंशा क्या है जब पीछे की गई दुकानों के बावजूद उसी स्थान पर अन्य व्यपारिक अदारे भी बने हुए हैं। दुकानों के सम्बंध में प्राप्त सूचना का अवलोकन करने पर आश्चर्यचकित होना लाजमी है। कैपिटल चौक पर बनी नगरपरिषद की दुकानों का साइज 8×14, 10×10, 10×25 सहित अलग अलग साइज थे। इनमें ही एक स्थान का साइज 30×29 भी था। नगरपरिषद के प्रोसीडिंग रजिस्टर के प्रस्ताव संख्या 123 के अनुसार सभी दुकानों को एक समान नई दुकान 10×25 देने का प्रस्ताव पास किया गया जिस पर तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी व प्रशासक के हस्ताक्षर है। यह जांच का विषय है कि गधे घोड़े एक समान कैसे हो गए। कैसे छोटी दुकान वेस्ले को भी 10×25 की दुकान दे दी गयी। सब गोलमाल होने की आशंका हैं जिसकी जांच अतिआवश्यक है। कैपिटल चौक पर पहले ही दुकान बन चुकी है तो फिर आज छुट्टी के दिन किन वीआईपी की दुकान बन रही है यह जांच का विषय है। जब नगरपरिषद में अतिक्रमण होता है तब कोई नही देखता और जब अतिक्रमण के तथ्य उजागर होते हैं तब नगरपरिषद के अधिकारी अतिक्रमण को तोड़कर अपने मुंह मिया मिठू बनते हैं। अतिक्रमण के लिए दोषी अधिकारियों पर पर कार्यवाही जरूरी है। महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि यदि सड़क के चौड़ा करने की प्रकिया में नगरपरिषद के बाहर बनी दुकानें रुकावट ही नही बनती थी तो यह दुकाने तोड़कर दुबारा बनाई क्यों गयी ? क्यों सरकार के लाखों रुपयों को अनावश्यक खर्च किया गया ? यदि यह दुकाने सड़क के चौड़ा करने में रुकावट बन रही थी तो फिर इन दुकानों के साथ बने अन्य व्यपारिक अदारो को क्यों नही तोड़ा गया ? नया बना नाला पहले वाले स्थान पर बनी दुकानों से भी काफी पहले क्यों बनाया गया ? यह सब जांच का विषय है और निष्पक्ष जांच होने पर अनेक छोटी-बड़ी मछलियों की पोल खुल जाएगी। उन्होंने उच्च प्रशासन से मांग की कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाई जाए ताकि जनता के सामने सच्चाई आ सके।