(सुभाष भारती): लॉकडाउन से आम जनजीवन एकदम ठहर सा गया है, लेकिन इस दौरान संक्रमण की दर भी धीमी हुई है। ऐसी स्थिति में सरकारों को चाहिए कि वे साप्ताहिक और रात्रि कफ्र्यू के साथ लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोलें, क्योंकि लॉकडाउन से समाज के कमजोर एवं वंचित तबके के सामने रोजगार का संकट भी खड़ा हो गया है। कारखानों में उत्पादन कार्य तथा आपूर्ति शृंखला प्रभावित होने के कारण महंगाई का स्तर भी बढ़ गया है। पिछले कई दिनों से स्कूल-कॉलेजों के बंद होने के कारण शैक्षिक गतिविधियों के ठप्प होने के कारण बच्चों के भविष्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लॉकडाउन की वजह से व्यापारी वर्ग को घर का खर्चा, दुकान किराया, कर्मचारियों का वेतन, बैंक का ब्याज देना मुश्किल हो गया है। व्यापारी वर्ग अभी भी कोरोना के पहले चरण में हुए नुकसान से उबर नहीं पाया है। ऐसे समय में लॉकडाउन क्रमबद्ध तरीके से खोलने की जरूरत है।
परिस्थितियों के अनुरूप खोला जाए लॉकडाउन – खडिय़ाल
शिरोमणि अकाली दल के कोर कमेटी सदस्य विनरजीत सिंह खडिय़ाल का कहना है कि लॉकडाउन खोलने का फैसला जल्दबाजी में लेने की जगह इलाके की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। अगर परिस्थितियां थोड़ी-सी भी अनुमति देती हैं तो लॉकडाउन खोलना चाहिए क्योंकि लॉकडाउन के दौरान छोटे व्यापारियों, कामगारों और मजदूरों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है। ऐसे में लॉकडाउन खोलना जरूरी हो जाता है परंतु लॉकडाउन खोलने के साथ ही जरूरी सावधानियां जैसे मास्क पहनना, दो गज की शारीरिक दूरी की पालना अवश्य हो और सरकार को बीमारों का इलाज घर-घर जाकर करना होगा तथा टीकाकरण अभियान में भी तेजी लानी होगी।
अनलॉक की जल्दबाजी से बचा जाए – गोयल
व्यापारी नेता गौरव गोयल ने कहा कि लंबे समय तक लॉकडाउन होने से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है, लिहाजा अब संपूर्ण लॉकडाउन बढ़ाने के बजाये कुछ सख्त नियमों को अपनाते हुए दुकानों को खोलने व निजी वाहनों के प्रयोग में सम-विषम का फॉर्मूला बरतना चाहिए। कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या निश्चित कर घर से काम करने की सुविधा भी दी जा सकती है। सरकार को राज्यों में संक्रमण के कम मामले होने पर भी अनलॉक की जल्दबाजी से बचना होगा। हालांकि धीरे-धीरे अनलॉक करने की गतिविधियों को शुरू करना चाहिए।
सख्त नियमों के साथ मिले छूट – बांसल
उद्योगपति संजीव बांसल का कहना है कि अब जब कोरोना की दूसरी लहर अपनी ढलान पर है। सरकार को धीरे-धीरे पर कुछ सख्त नियमों के साथ लॉकडाउन खोल देना चाहिए ताकि जनजीवन फिर से सामान्य होने लगे परन्तु इसके लिए आम जनता को भी सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना जरूरी हो। इतने महीनों के लॉकडाउन में रहकर देश की जनता भी अब एक दूसरे से उचित दूरी बनाये रखने, मास्क व सैनिटाइजर का उपयोग और भीड़-भाड़ से दूरी बनाना सीख ही गए हैं, राष्ट्र की खुशहाली बनाये रखने व कोरोना को मात देने के लिए लॉकडाऊन खुलने के बाद भी सरकार द्वारा जारी नियमों की पालना करते रहना भी जरूरी है।
जिस इलाके में संक्रमण कम हो, वहां पहले खुले लॉकडाऊन – धर्म पाल
उद्योगपति धर्म पाल चीमा का कहना है कि कोरोना वायरस को मात देने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से काफी नुकसान हो चुका है। चूंकि अब ज्यादातर जगह कोरोना मामले कम हो गए हैं, ऐसे में अब लॉकडाउन खोलने की जरूरत है, जिससे अर्थव्यवस्था, खासकर छोटे कारोबारी और कामगारों को राहत मिल सके। हालांकि लॉकडाउन को स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से ही खोलना चाहिए। क्योंकि अभी कोरोना का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। सरकार को हर जिले की स्थिति के अनुरूप योजना बनाकर लॉकडाउन से राहत देनी चाहिए। जिन जिलों में संक्रमण दर 5 फीसदी से कम है, वहां लॉकडाउन सबसे पहले खोलकर आर्थिक गतिविधियों को चालू किया जाए। लॉकडाउन खोलने के बाद भी कोरोना से बचाव के नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाना भी बेहद जरूरी है। लॉकडाउन खोलने के साथ ही सरकार को उद्योगों की आर्थिक मदद भी करनी चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था को जल्द पटरी पर लाया जा सके।