23 मार्च 1931 शहीदी दिवस: तय हुई थी 24 मार्च की तारीख, पर 11 घंटे पहले ही दे दी गई थी भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को फांसी दी गई आज संस्थान के द्वारा जगदीशपुर मे संरक्षक अमरेंद्र प्रताप सिंह संस्थापक संचालक मुकेश विक्रम सिंह राष्ट्रीय सचिव श्याम सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेश विक्रम सिंह के संरक्षण मे सम्पन्न हुआ दीप प्रज्ज्वलित के माल्यार्पण कर दो मिनट का मौन रखकर सभी ने सच्ची श्रद्धाजलि दी साथ ही संस्थान के एवं अन्य समाज सेवी लोगो को सम्मानित किया गया संस्थान के सर्व सहमति विचार विमर्श करके संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष मुकेश विक्रम सिंह संरक्षक अमरेंद्र प्रताप सिंह ने
योगेश विक्रम सिंह को कार्यवाहक अध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को आज देश में कौन नहीं जानता है। उन्हीं की याद में 23 मार्च को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इसी दिन साल 1931 में इन तीनों वीर सपूतों को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दे दी थी। उन्हें लाहौर षड्यंत्र के आरोप में फांसी पर लटकाया गया था। लेकिन क्या आपको पता है कि इन तीनों को फांसी दिए जाने की तारीख 24 मार्च 1931 तय की गई थी, लेकिन उससे एक दिन पहले ही यानी 23 मार्च को ही उन्हें फांसी पर लटका दिया गया था। यह खबर देशभर में आग की तरह फैल गई थी।
दरअसल, इन तीनों वीर सपूतों को फांसी दिए जाने की खबर से देश के तीनों की फांसी को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। इससे अंग्रेज सरकार डर गई थी। उन्हें लगा कि माहौल बिगड़ सकता है, इसलिए उन्होंने फांसी का दिन और समय बदल दिया और भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को एक दिन पहले ही फांसी दे दी गई।
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने आठ अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दे दी थी। इसके फिर बाद में भगत सिंह को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिया गया था।
करीब दो साल तक जेल में रहने के दौरान भगत सिंह लेख लिखकर अपने क्रांतिकारी विचार व्यक्त करते रहते थे। अपने लेखों में उन्होंने कई तरह से पूंजीपतियों को अपना शत्रु बताया है। उन्होंने लिखा है कि मजदूरों का शोषण करने वाला चाहे एक भारतीय ही क्यों न हो, वह उनका शत्रु है। । उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से भारतीय समाज में लिपि, जाति और धर्म के कारण आई दूरियों पर दुःख भी व्यक्त किया था। आज भी भारत की जनता भगत सिंह को आजादी के दीवाने के रूप में देखती है, जिसने अपनी जिंदगी देश के लिए समर्पित कर दी। कार्यक्रम में मौजूद रहे पदाधिकारी मुकेश विक्रम सिंह श्याम सिंह योगेश विक्रम सिंह अंकुल श्रीवास्तव विपिन चौहान शिवबहादुर सिंह विशाल त्रिपाठी सूरज शर्मा आकाश सिंह मुकेश कुमार सिंह शिव बहादुर सिंह अंकित भदोरिया कौशल सिंह बर्रा आदर्श कुमार वर्मा रानू शाहपुर मुगल रंजीत सिंह पीयूष सिंह अतुल सिंह अजीत राठौर अमन सिंह सुनील कुमार शैलेंद्र सिंह सोमवंशी प्रवीण सिंह राजन मुन्ना सिंह मदारा सौरभ पाल अमित सिंह सचिन सिंह राहुल फौजी विक्की सिंह सचिन सिंह।