अम्बाला छावनी-आम आदमी पार्टी की हरियाणा सदस्य चित्रा सरवारा ने रोजगार को लेकर हरियाणा और दिल्ली की तुलना की। उन्होंने हरियाणा को बेरोजगारी के मामले में देश का नंबर 1 राज्य बताया है। चित्रा सरवारा ने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि अप्रैल 2019 में 26.5%, अप्रैल 2020 में 43.2% और अप्रैल 2022 में 26% के साथ आज भी हरियाणा देश का सबसे बेरोजगार राज्य है। वहीं दिल्ली सरकार ने अगले 5 सालों में 20 लाख रोजगार पैदा करने का वादा कर उसपर गंभीरता से काम शुरू कर दिया है। अलग-अलग विभागों से लोगों को रोजगार के लक्ष्य को समय पर पूरा करने की ज़िम्मेदारी दी गई है। चित्रा ने भाजपा से पूछा है कि लगभग बराबर आबादी होने के बावजूद दोनों राज्यों में इतना फर्क क्यों है।
आम आदमी पार्टी से हरियाणा प्रभारी और राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि एक यूथ आइकॉन होने के नाते आज चित्रा सरवारा युवाओं से संबंधित एक बहुत महत्तवपूर्ण मुद्दा लेकर आई हैं। देश में युवाओं की बेकद्री के विषय में आज चित्रा बात करेंगी। यह विषय महत्वपूर्ण है लेकिन हरियाणा सरकार इसपर बात करने से हमेशा बचती रही है।
आम आदमी पार्टी की हरियाणा सदस्य चित्रा सरवारा ने कहा कि आज हम एक पहलू देखेंगे कि कैसे हरियाणा में युवाओं और उनके भविष्य की कद्र नहीं है। साथ ही इसपर भी बात करेंगे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने वहां के युवाओं के लिए क्या-क्या काम किए हैं। हरियाणा से संबंधित कुछ आंकड़े आप लोगों के साथ साझा करूंगी। अप्रैल 2019 में जब कोरोना की मार हमपर नहीं पड़ी थी। उस वक्त हरियाणा बेरोजगारी के मामले में 26.5% के आंकड़ों के साथ देश में पहले स्थान पर था। एक साल बाद अप्रैल 2020 में यह आंकड़ा 20% से बढ़कर 43.2% हो गया। इसी के साथ बेरोजगारी के मामले में हरियाणा एक बार फिर देश में पहले स्थान पर रहा। अप्रैल 2022 में 26% के साथ आज भी देश का सबसे बेरोजगार राज्य है।
इनमें चौकाने वाले आंकड़ें यह भी हैं कि हरियाणा में 20-24 वर्ष के 85% युवा बेरोजगार हैं। इसका मतलब यह है कि जो पहले से नौकरी कर रहा है, सिर्फ उसी के पास रोजगार है। जो पढाई पूरी करके रोजगार ढूंढ़ रहे हैं, उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिल रही है। हरियाणा सरकार ने एक दावा किया कि आज की तारीख में यहां करीब 6 लाख लोग बेरोजगार हैं। लेकिन सरकार का सक्षम युवा नाम का जो पोर्टल था, उसपर 4 लाख युवाओं ने रेजिस्टर किया। जो सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) है, 8,68,000 युवाओं ने उसके लिए पंजीकरण किया है। आज कागजों पर देश में युवाओं की बेरोजगारी के आंकड़े 10 लाख से ऊपर जा चुके हैं। आज हरियाणा का युवा बहुत हताश है। यदि आप किसी गांव में जाएंगे तो वहां छोटी से छोटी नौकरी के लिए भी बच्चों को मजबूरन पासपोर्ट बनवाकर अपने मां-बाप से दूर जाना पड़ता है।
दिल्ली में रोजगार पर बात करते हुए चित्रा सरावर ने कहा कि दिल्ली में हमारी सरकार है। देश के इतिहास में अरविंद केजरीवाल ने एक अनूठी पहल की है। पहली बार दिल्ली में एक रोजगार बजट लॉन्च किया गया है। मोदी जी ने भी हर साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया था और बाद में उसे जुमला साबित कर दिया गया। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री इसबार जो रोजगार बजट लेकर आएं हैं जिसे मनीष सिसोदिया जी ने प्रस्तुत किया था, उन्होंने अगले 5 सालों में 20 लाख रोजगार पैदा करने का वादा किया है। मौजूदा दिल्ली में 2 करोड़ यानी कि हरियाणा जितनी ही आबादी है। दिल्ली में करीब 56 लाख लोगों के पास पहले ही रोजगार है। अब इसे 76 लाख लोगों तक पहुंचाना है। यह बातें ऐसी नहीं हैं कि सिर्फ घोषणा कर दी, जब रोजगार बजट को बनाया गया तो उसमें हर विभाग के लोगों को लिया गया। उनको लाखों में नौकरियां पैदा करने का टार्गेट दिया गया।
परिवहन विभाग, पर्यटक विभाग, दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डिवलपमेंट कॉरपोरेशन आदि को साथ लेकर सभी कार्यक्रम बनाए गए हैं। सभी विभागों को ऑर्डर दिया गया है रोजगार पैदा करने की हर संभव कोशिश करनी है। आर्थिक चक्का तभी चलता है जब आपकी जेब में रुपया होगा और आप उसे मार्केट में जाकर खर्च करेंगे। केजरीवाल जी ने इन सभी चीजों को कवर करने की कोशिश की है। उन्होंने इंडस्ट्री,फूड एंड बेवरेज,मार्केटिंग, दिल्ली में शॉपिंग हब बनाने का,होलसेल हब बनाने का, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल करवाने का, इंटरनेशनल शॉपिंग फेस्टिवल करवाने का, उसमें डिस्काउंट कैसे दे सकते है, राज्य उसमें जीएसटी कैसे घटाएगी, एक से बढ़कर एक परिवर्तनात्मक योजनाएं शामिल की गई हैं।
लोगों को पता है कि जब अरविंद केजरीवाल कोई योजना लेकर आते हैं तो उसपर काम भी होता है। हमें यकीन है कि इन सभी याजनाओं की मदद से रोजगार पैदा करने का टार्गेट समय से पूरा होगा। यह वादा जुमला नहीं साबित होगा। वहीं हरियाणा में नौकरी का क्या हाल है, हम सभी जानते हैं। खट्टर साहब ने कहा था कि यहां न खर्ची चलेगी और न ही पर्ची चलेगी। खर्ची कितनी चल रही है, एचएसई के दफ्तरों में इसके बिगुल बज रहे हैं। कमाल की बात यह है कि अबतो पर्चों पर भी खर्चे हो रहे हैं। हर परीक्षा का पेपर बिक रहा है। परीक्षाएं रद्द हो रही हैं, नौकरियां रद्द हो रही हैं। आज हरियाणा के मां-बाप, हरियाणा का युवा हताश है। हम उनसे यही कह सकते हैं कि आपको सोचना है कि आपको कौन सा मॉडल चाहिए। आपको केजरीवाल का मॉडल चाहिए या आपको हरियाणा की भाजपा सरकार का लचर मॉडल चाहिए। तय आपको करना है। हम यह आश्वासन देते हैं कि आपको आशा नहीं हारनी है, आज नहीं तो कल यहां बेरोजगारी खत्म होगी। हमारे पास केजरीवाल का विकल्प है। हम चाहेंगे कि इन सभी सवालों पर भाजपा सरकार जवाब दे कि लगभग बराबर आबादी होने के बावजूद दोनों राज्यों में इतना फर्क क्यों?