आरटीआई के तहत नही दी किसी विभाग ने सूचना।
सूचना आयोग में लगाएंगे अपील।
हरियाणा अर्बन एरिया नियमित व नियंत्रित अधिनियम 1975 की धारा 7A के लेकर अम्बाला की जनता व प्रॉपर्टी डीलरों की परेशानी को सांझा करते हुए इनैलो कार्यकर्ता व एडवोकेट दमनप्रीत सिंह ने कहाकि धारा 7A को स्थानीय तहसीलदारों द्वारा नियमित कॉलोनियों पर लागू करने के तुगलकी फरमान से पूरा अम्बाला पड़ताडित है। जनता की परेशानी को दूर करने के लिए उन्होंने डीटीपी अम्बाला, उपायुक्त अम्बाला, एफसीआर रेवेन्यू,डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, डायरेक्टर अर्बन लोकल बॉडी व मुख्य सचिव हरियाणा सरकार से जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगी थी कि सरकार द्वारा नियमित कॉलोनी पर धारा 7A लागू हिने का नियम बताए, नियमित कॉलोनी में एनओसी जिस नियम के तहत जारी की जा रही है उस नियम की सत्यापित प्रति दें, नियमित कॉलोनी की डीटीपी से एनओसी लेने की प्रक्रिया बताएं, एनओसी के लिए जरूरी दस्तावेज बनाए, एनओसी देने की समय सीमा बताएं, मकान की एनओसी के लिए अक्स जिस नियम के तहत आवश्यक है उस नियम की सत्यापित प्रति दें, नियमानुसार एनओसी न देने कर दोषी अधिकारी के खिलाफ होने वाली कार्यवाही बताएं, मकान की एनओसी की स्तिथि में गिरदावरी की आवश्यकता के नियम की सत्यापित प्रति दे व धारा 7A नियमित कॉलोनी पर लागू भी होती है या नही स्पष्ट करें लेकिन बहुत ही अफसोस व दुर्भाग्य की बार है कि उपायुक्त अम्बाला, एफसीआर रेवेन्यू हरियाणा ,डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, डायरेक्टर अर्बन लोकल बॉडी व मुख्य सचिव हरियाणा सरकार की तरफ से दो महीने बीत जाने के बाद भी कोई जवाब नही आया जिसलिए प्रथम अपील लगाई गई है और डीटीपी अम्बाला ने भी आधा अधूरा जवाब दिया और धारा 7A बारे स्पष्टीकरण दे के की बजाए धारा 7A की प्रति दे दी गयी। जिससे स्पष्ट है कि हरियाणा में अफसरशाही ज्यादा बलशाली हो चुकी है, जनता की समस्या से किसी अधिकारी को कोई लेना देना नही। डीटीपी द्वारा दी जा रही एनओसी में भी स्पष्ट लिखा जा रहा है कि उक्त प्लाट या मकान नियमित कॉलोनी में स्थित है इसलिए उन्हें एनओसी देने में कोई एतराज नही है या एनओसी यहां वांछनीय नही है। इतना सबकुछ होने पर भी जनता को कोई राहत नही मिल रही। जनता पिस रही है इसलिए सत्तासीन नेताओ को इसका संज्ञान लेकर जल्द ही स्तिथि स्पष्ट करनी चाहिए ताकि जनता को राहत मिल सके। उन्होंने चेताया कि यदि जल्द इस समस्या का समाधान न निकाला गया तो उच्च न्यायालय की शरण लेकर जनता को न्याय दिलाया जाएगा।

