अम्बाला
शहरी छेत्र नियमित व नियंत्रित अधिनियम 1975 की धारा 7A के स्पष्टीकरण के लिए सिटी मजिस्ट्रेट अम्बाला के बुलाने पर एडवोकेट दमनप्रीत सिंह उनके कार्यालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि धारा 7A की उपधारा ( iii ) के अनुसार किसी भी कानून द्वारा नियमित कॉलोनी पर यह धारा लागू ही नही होती। इसके साथ ही हरियाणा सरकार के पत्र क्रमांक DULB/TP/ATP-III/2018/ 8544-8626 दिनांक 19/12/2018 के बिंदु 3 अनुसार स्पष्ट है कि नियमित कॉलोनी के प्लाट या मकान की रजिस्ट्री के लिए सम्बंधित स्थानीय निकाय विभाग मतलब नगरनिगम,नगरपरिषद या नगरपालिका से एनओसी लेने के उपरांत रजिस्ट्री कर दी जाएगी। इस बिंदु पर मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार की सहमति भी प्राप्त है। डायरेक्टर अर्बन लोकल बॉडी के इस पत्र में स्पष्ट है कि प्रदेश के सभी नगरनिगमो के कमिश्नरो, सभी नगरपरिषद के कार्यकारी अधिकारियों व सभी नगरपालिकाओं के सचिवों को इस पत्र की प्रति भेजी गई है और सम्बंधित स्थानीय निकाय विभा की ड्यूटी है कि वो एनओसी के लिए अपने अधिकारी की नियुक्ति करे। उन्होंने कहाकि बहुत अफसोस कि बात है कि क्रिस्टल क्लियर नियम धारा 7A(iii) व हरियाणा सरकार के स्पष्ट निर्देश वाले पत्र के बावजूद भी स्थानीय तहसीलदार, डीटीपी व उपायुक्त अम्बाला किसके निर्देश या स्पष्टीकरण की इंतजार में हैं। वर्णनीय है कि स्पष्टीकरण वहां मांगा जाता है जहां कानून या सरकारी निर्देशो में अस्पष्टता हो या भाषा के दो मतलब निकलते हो। इन दोनों स्थितियों में से एक भी स्तिथि ऐसी नही है फिर भी जनता पिस रही है, कोई उसकी व्यथा को समझने वाला नही। इससे पूर्व उपायुक्त अम्बाला से दो बार इस मुद्दे पर बात हो चुकी है और एसडीएम अम्बाला सिटी से एक बार लेकिन कोई हल नही निकला। आज सिटी मजिस्ट्रेट अम्बाला से अच्छे माहौल में बातचीत होने पर उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही इस बारे स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए जाएंगे ताकि जनता को परेशानी न हो। कितनी अजीब बात है कि सरकार जब भी कोई कॉलोनी नियमित कॉलोनी जो सभी कायदे कानून ध्यान में रखकर नियमित की जाती है और जिसके बारे स्पष्ट प्रावधान भी है उसमें स्थित प्लाट या मकान की रजिस्ट्री के लिए भी डीटीपी विभाग से एनओसी मांगी जा रही है। गृहमंत्री के गृह जिले में कानून की अस्पष्टता का सहारा लेकर डीटीपी अम्बाला का विभाग जनता से खिलवाड़ कर रहा है और पूरे विश्व के बारे बयानबाजी करने वाले गृहमंत्री शांत है इससे ज्यादा अचंभे वाली बात क्या हो सकती है। उपायुक्त अम्बाला से पूछने पर उनका जवाब भी कम अचंभे वाला नही की मैने डायरेक्टर से पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा हुआ है। विचारणीय तथ्य यह भी है कि यदि उपायुक्त स्तर के अधिकारी जिसको पूरे जिले का कार्यभार मिला हुआ है उसके पत्र का जवाब 2 महीने से अधिक समय से डायरेक्टर ने नही दिया तो आम जनता की स्तिथि क्या होगी यह सर्वविदित है। उन्होंने गृहमंत्री व उपायुक्त अम्बाला से अपील की कि शीघ्र इस समस्या का समाधान करके जनता को राहत दी जाए।