नई दिल्ली, 26 जून (प्रेस की ताकत न्यूज ब्यूरो)ः भारत के आठ राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना में कोरोना वायरस के खतरनाक वैरिएंट डेल्टा के 50 फीसदी मामले मिले हैं।
भारत के 174 जिलों में डेल्टा वैरिएंट मिल चुका है, जबकि हाल ही में सामने आए डेल्टा प्लस के मामले अब तक 12 राज्यों में सामने आ चुके हैं। इन राज्यों में 49 सैंपल में डेल्टा प्लस वैरिएंट मिला है, जिसे सरकार ने हाल ही में गंभीर वैरिएंट के रुप में घोषित किया था।
राष्ट्रीय महामारी नियंत्रण केंद्र के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि देश में अब तक 21,109 सैंपल में गंभीर वैरिएंट मिल चुके हैं। इनमें एल्फा 3969, बीटा 149, गामा एक और डेल्टा व कापा वैरिएंट 16238 सैंपल में मिला है।
महामारी की दूसरी लहर से पहले फरवरी और मार्च में सबसे ज्यादा अल्फा वैरिएंट मिल रहा था, लेकिन मई और जून में 90 फीसदी सैंपल में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हो रही है। देश में अब तक कोरोना के 120 म्युटेशन सामने आ चुके हैं, लेकिन उनमें से गंभीर आठ वैरिएंट हैं जो सबसे ज्यादा भारतीय कोरोना संक्रमितों में मिल रहे हैं।
हालांकि, 14 वैरिएंट के बारे में अभी वैज्ञानिकों को ज्यादा जानकारी नहीं है। इनमें से एक डेल्टा प्लस वैरिएंट भी है। बीते साल दिसंबर 2020 में देश के एक जिले में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मरीज मिला था, जिसके बाद मार्च 2021 तक डेल्टा 54 जिलों तक पहुंच गया था, लेकिन अब यह 174 जिलों तक पहुंच गया है। सबसे पहले यह महाराष्ट्र में मिला था।
वहीं, डेल्टा प्लस की बात करें तो महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 20, तमिलनाडु में नौ, मध्य प्रदेश में 07, पंजाब में 02, गुजरात में 02, केरल में 03, आंध्र प्रदेश-ओडिशा-राजस्थान-जम्मू कश्मीर और कर्नाटक में भी एक-एक मरीज मिल चुका है।
महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित 80 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई है। कोरोना से होने वाली यह देश में दूसरी मौत और महाराष्ट्र में पहली मौत है। राज्य में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित कुल 21 मरीज हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी एक मरीज की मौत हो चुकी है। उज्जैन में दो मरीज डेल्टा प्लस वैरियंट से संक्रमित मिले थे, जिनमें एक महिला मरीज की मौत हो गई थी।
इस बीच डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले बढ़ने से रोकने के लिए राज्य सरकार ने पाबंदियां बढ़ाने के नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। रैपिड एंटीजन या अन्य जांच के बजाय आरटी-पीसीआर जांच के आधार पर पाबंदियों को घटाया-बढ़ाया जाएगा। डेल्टा के मामले मिलने पर पाबंदी बढ़ाई जा सकती है। जिससे एक बार फिर से लाकडाउन, कफर्यु आदि का हमें फिर से सामना करना पड़ सकता है।