नई दिल्ली (प्रेस की ताकत न्यूज डेस्क): केंद्र सरकार एक नया कानून लागू कर रही है जिससे सबसे बड़ा फायदा ग्राहकों को होने वाला है. अगर सरकार के दावों की मानें तो अगले 50 साल तक ग्राहकों के लिए किसी नए कानून की जरूरत नहीं पड़ेगी.
20 जुलाई 2020 से देशभर में नया उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 लागू हो जाएगा. केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. यह करीब 35 साल पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 की जगह लेगा.
गत दिनों उपभोक्ता एवं खाद्य मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि इसके लागू हो जाने के बाद ग्राहकों के लिए अगले 50 सालों तक कोई और कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. नए कानून के लागू होने के बाद किसी उत्पाद के संबंध में भ्रामक विज्ञापन देना कंपनी को महंगा पड़ जाएगा क्योंकि नए कानून में भ्रामक विज्ञापन देने पर कार्रवाई करने का प्रावधान है.
नए कानून आने के बाद उपभोक्ता विवादों का समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से निपटारा किया जा सकेगा. नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण बनाया गया है. ये प्राधिकरण उपभोक्ता के हितों की रक्षा कठोरता से हो, इसकी निगरानी करेगा. इस प्राधिकरण के पास जुर्माना लगाने से लेकर सजा सुनाने का भी अधिकार होगा. नए कानून में उपभोक्ता देश के किसी भी कंज्यूमर कोर्ट में मामला दर्ज करा सकेगा, भले ही उसने सामान कहीं और से ही क्यों न लिया हो.
यह उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ग्राहकों की परेशानी को सुनेगा. यदि आपसे कोई दुकानदार अधिक मूल्य वसूलता है या आपके साथ अनुचित बर्ताव करता है या फिर दोषपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री करता है. ऐसे हर मामले की सुनवाई करेगा.
प्राधिकरण के पास जुर्माने से लेकर सजा देने तक का अधिकार होगा। जुर्माने की राशि 50 लाख रुपये तक और सजा 2 से 5 साल के बीच होगी।
ये कानून अनुचित व्यापारिक गतिविधियों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों पर भी सख्त कार्रवाई करेगा। खाने-पीने की चीजों में मिलावट तो कंपनियों पर जुर्माना लगाने की व्यवस्था और जेल का प्रावधान भी इस कानून में किया गया है।
इसके अलावा उपभोक्ता फोरम में एक करोड़ रुपये तक के मामलों का निपटारा किया जा सकेगा।
यही नहीं इस नए कानून के तहत पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी. इसके दायरे में ऑनलाइन या टेलीशॉपिग कंपनियों को भी शामिल किया गया है. ग्राहक और दूकानदार के बीच मध्यस्थता के लिए मीडिएशन सेल का गठन किया गया है. ये सेल दोनों पक्षों की सहमति के बाद ही मध्यस्थता कर सकता है.
20 जुलाई 2020 से लागू होने वाले इस नए कानून के चलते उपभोक्ता को बड़ा फायदा पहुंचेगा। नए कानून में भ्रामक विज्ञापन देने पर कार्रवाई करने का प्रावधान है। यह नया कानून कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का स्थान लेगा।