नई दिल्ली, 6 नवम्बर (प्रेस की ताकत बयूरो)- करीब 5साल पहले 8नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने अचानक 500 और 1000 रुपए मूल्य के नोटों को बंद कर दिया था। सरकार ने लोगों को डिजिटल तरीको साथ भुगतान करन को प्रेरित किया। सरकार मुताबिक नोटबन्दी का एक अहम लक्ष्य व्यवस्था में से नकदी घटाना था। हालाँकि नोटबन्दी के पाँच साल बाद भी यह लगातार बढ़ रही है और 8अक्तूबर 2021 को ख़त्म होने वाले फोरटनाईट (14 दिनों की मियाद) में लोगों के पास रिकार्ड नकदी रही।लेने -देने के लिए नकदी आम लोगों की पसंद बनी हुई है। 8अक्तूबर को समाप्त होने वाले फोरटनाईट में लोगों के पास 28.30 लाख करोड़ रुपए का कैश था जो कि 4नवंबर 2016 को मुहैया कैश के मुकाबले 57.48 प्रतिशत अधिक है। इस का मतलब हुआ कि लोगों के पास 5साल में कैश 57.48 प्रतिशत यानि कि 10.33 लाख करोड़ रुपए बढ़ गया। 4नवंबर 2016 को लोगों के पास 17.97 लाख करोड़ रुपए की नकदी था जो नोटबन्दी का ऐलान (8नवंबर 2016) होने के बाद 25 नवंबर 2016 को 9.11 लाख करोड़ रुपए रह गई। इस का मतलब हुआ कि 25 नवंबर 2016 के स्तर से 8अक्तूबर 2021 तक आने में 211 प्रतिशत नकदी बढ़ गई। जनवरी 2017 में लोगों के पास 7.8 लाख करोड़ रुपए की नकदी था।
कोरोना ने बढ़ाया नकदी का इसतेमाल
सरकार और आर. बी. आई. ‘लैस कैश सोसायटी व्यवस्था ’ और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दे रही है। इस के इलावा नकदी के लेने -देने को ले कर पाबंदियाँ भी लगाईआं गई हैं। हालाँकि इन के बावजूद व्यवस्था में लगातार नकदी बढ़ रही है। कोरोना महामारी कारण इस में ओर तेज़ी आई क्योंकि लाकडाऊन कारण अधिक से अधिक लोग नकदी की व्यवस्था करन लगे जिससे ग्रासरी और ओर ज़रूरी चीजें के लिए भुगतान किया जा सके। हालाँकि एक बैंकर मुताबिक और ज्यादा नकदी के साथ सही तस्वीर नहीं पेश होती है बल्कि इस को करैंसी और जी. डी. पी. के रेशो को देखना चाहिए जो नोटबन्दी के बाद नीचे आया है परन्तु यह रेशो भी बढ़ा है। वित्तीय साल 2020 तक यह अनुपात 10 -12 प्रतिशत थी जो कोरोना महामारी के बाद बढ़ गया और अनुमान है कि वित्तीय साल 2025 तक 14 प्रतिशत हो जाऐगा।
कैश की बनी रहेगी महत्तता
आर. बी. आई. का मानना है जी. डी. पी. िवच नामात्र वृद्धि के साथ व्यवस्था में नकदी भी बढ़ेगी। फैस्टिव गीलापन में कैश की माँग और ज्यादा बनी रही क्योंकि ज़्यादातर दुकानदार एंड -टू -एंड ट्रांजिकशन के लिए कैश पेमैंटस पर निर्भर रहे। लेने -देने के लिए नकदी की महत्ता बनी रहने वाली है क्योंकि करीब 15 करोड़ लोगों के पास बैंक खाता नहीं है और टियर -4शहरों में 90 प्रतिशत से अधिक ई -कामर्स ट्रांजैकशन कैश में होते हैं जब कि टियर -1शहरों में सिर्फ़ 50 प्रतिशत ही ट्रांजैकशन कैश के द्वारा होते हैं।