नई दिल्ली (प्रेस की ताकत न्यूज डेस्क):- कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी ने जहां समूचे विश्व को अपनी चपेट में लेते हुए हर एक दिल दहला दिया है, वहीं साथ ही इस महामारी से बचने के लिए जहां मोदी सरकार ने 22 मार्च को देशभर में सख्ती के साथ लॉकडाउन लगाते हुए लोगों को इस महामारी से बचने के लिए घरों अंदर ही रहने के लिए कहा था, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी पंजाबियों के हित में और उनकी कीमती जानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्यभर में कर्फ्यू लगा दिया था, जिसकी चाहे किसी भी तरीके से लोगों ने घरों के अंदर रहकर पालना की, परन्तु अब लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद अनलॉक-1 होने पर कोरोना वायरस के मामलों में चाहे रती भर कहीं कमी हुई होगी, परन्तु यह वायरस खत्म होने की बजाय दिनों-दिन लोगों के अंदर फैलता ही जा रहा है।
इसको रोकना अब सेहत विभाग के कंट्रोल से बाहर होती जा रही है, क्योंकि दिन-प्रतिदिन कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के सामने आने के बावजूद अनलॉक-1 के अंतर्गत लोग सड़कों पर चीटियों की तरह वाहनों पर गुजरते नजर आ रहे हैं तथा ऐसा होने से सड़कों पर प्रतिदिन गुजरने वाले लोग जहां सोशल डिस्टैंस की परवाह किए बिना ही पुलिस प्रशासन के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, जिसके चलते भीड़ इकट्ठी होने के कारण कोरोना वायरस के अधिक फैलने का डर सरकार को भी सता रहा है।
परंतु प्रश्न यह है कि सरकार और महाकर्फ्यू का ऐलान करने के लिए कितने केस बढ़ने का इंतजार कर रही है, रोजाना करोना के केस तेजी के साथ अपना रिकार्ड तोड़ इजाफा कर रहे है और देश के अंदर जिस रफ्तार के साथ कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, उसे देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार पुनः कोरोना के साथ दो-दो हाथ करने के लिए कमान संभाल ली लगती है, क्योंकि कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को कंट्रोल करके नीचे लाने के लिए केंद्र सरकार चिंतित नहीं लगती।
केंद्र तथा राज्य सरकारों को इस विषय के संबंध में कोरोना वायरस को हराने के लिए कोई बड़ा और सख्त फैसला लेना होगा, क्योंकि विगत 1 जून को हुए अनलॉक-1 को देश की जनता ने कोरोना पर अपनी जीत मानकर सब कुछ पहले की तरह ही आम दिनों की भांति अपनी दिनचर्या शुरू कर दी है, जिससे हालात भयानक हो रहे हैं।
एम्स के डायरैक्टर डा. रणबीर सिंह गुलेरिया ने तो पहले ही कहा था कि जून-जुलाई में कोरोना की स्थिति आऊट ऑफ कंट्रोल हो सकती है, देश में रोजाना बढ़ती रोगियों की संख्या इस बयान को पुख्ता कर रही है।
देश को एक बार फिर पहले की तरह सख्त लॉकडाउन को बर्दाश्त के लिए तैयार रहना पड़ सकता है, क्योंकि केंद्र सरकार कोई ठोस कदम उठाते हुए महाकर्फ्यू का ऐलान कर दे, परन्तु शायद हो सकता है कि इससे पहले सरकार देशवासियों को दो दिन का समय दे दे कि जिस किसी ने भी अपने गांव या शहर जाना है तो वह इस बीच अपनी जगह व ठिकाने पर पहुंच जाए और जिस किसी को दवा, राशन या कुछ और जरूरी वस्तुएं घरों में जुटानी हैं तो वह इन दिनों में खरीद लें और पहले की तरह कोई भी लॉकडाउन में बाहर न निकले।
यहीं बस नहीं, जो 21 दिनों के लगने वाले इस महाकर्फ्यू की स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि जिस तरह राज्य सरकारें और केंद्र सरकार की ओर से प्रतिदिन बढ़ते-घटते कोरोना के हालात को उजागर किया जा रहा है तो ऐसी स्थिति में यदि कोई नियमों या कानून का उल्लंघन करेगा तो सख्ती के साथ निपटा जाएगा और इसी तरह ही कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है।