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कोविड के कारण आई मंदी की मार से निजात दिलाने वाला हो आम बजट - Ozi News
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कोविड के कारण आई मंदी की मार से निजात दिलाने वाला हो आम बजट

Subash Bharti by Subash Bharti
February 1, 2021
in HARYANA, INDIA, PUNJAB
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कोविड के कारण आई मंदी की मार से निजात दिलाने वाला हो आम बजट
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(सुभाष भारती):

रोजगार बढ़ाने पर जोर – सुरनेश सिंगला
बजट से काफी उम्मीदें हैं। बजट से आम जनता, किसान, छोटे उद्योग को आर्थिक लाभ पहुंचने की उम्मीद है। लॉकडाउन से लोग बेरोजगार हुए और काफी समय बाद बाजार खुले। फिर भी बाजारों में खास रौनक नहीं लौटी। इसलिए बजट में रोजगार, महंगाई कम करने और स्वास्थ्य के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। बाजार में मांग और ग्राहकों को प्रोत्साहित करना होगा।

आर्थिक रफ्तार बढ़ाने के हों उपाय- सोमनाथ सिंगला
कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए आगामी बजट में स्वदेशी कृषि अनुसंधान, तिलहन उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण और जैविक खेती के लिए अतिरिक्त धनराशि एवं प्रोत्साहन देना चाहिए। कोविड के मद्देनजर बजट में आर्थिक रफ्तार बढ़ाने के लिए कई उपाय करने होंगे। सरकार को निवेश को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं की जेब में पैसे डालने के उपाय करने चाहिए।

सबके लिए कल्याणकारी हो बजट – विजय घुम्मनिया
इस बार के बजट में आत्मनिर्भर भारत को ध्यान में रखकर कई प्रावधान किए जा सकते हैं। सरकार को निम्न आय वर्ग के साथ-साथ मध्य आय वर्ग को भी रियायतें देनी चाहिए। आयकर को लचीला बनाया जाए और कोरोना काल को दृष्टिगत रखते हुए असंगठित क्षेत्र के कामगारों को राहत पैकेज देकर उबारा जाए। बजट जन-जन के लिए कल्याणकारी होना चाहिए।

रोजगार बढ़ाने वाला हो बजट – अंग्रेज मित्तल
सरकार की सबसे बड़ी चुनौती बजट में कोरोना कारण चौपट हुए सरकारी खजाने के बावजूद आम लोगों को महंगाई से राहत देना है। आयकर में छूट देने की जरूरत है। आम बजट तभी देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, जब इसमें मुफ्त की योजनाओं की जगह कारोबार को लॉकडाउन से मिले आर्थिक नुकसान के जख्मों पर मरहम लगाने की घोषणा होगी।

प्रोत्साहन की दरकार – अशोक सिंगला
लॉकडाउन के बाद आई सुस्ती के बाद अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए बजट में न केवल विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र को विशेष प्रोत्साहन की आवश्यकता है बल्कि ग्रामीण जनसंख्या को रोजगार प्रदान करने के लिए कृषि को भी विशेष छूट की आवश्यकता है। बजट में उत्पादन प्रक्रिया, रोजगार, मांग, आय तथा राजस्व में वृद्धि के प्रयास हों।

मांग बढ़ाने को मिले पैकेज – अश्वनी कुमार
सरकार के आर्थिक पैकजों ने अर्थव्यवस्था को संभाला तो लेकिन कई क्षेत्रों में मांग नहीं बढ़ पाई। मांग बढ़ाने के लिए बजट में इन पैकेजों का विस्तार हो, आयकर में छूट बचत के बजाये खर्च करने पर दी जाए, सब्सिडी कम करके बचा पैसा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में लगे, रोजगार के अवसर बढ़ाने के उपाय हों। विनिवेश को रफ्तार मिले और कर चोरी के रास्ते बंद किए जाएं।

महंगाई से राहत दिलाने वाला हो – बाल कृष्ण बाली
लगातार बढ़ती मंहगाई ने पहले से ही आम आदमी की कमर टूट चुकी है और ऊपर से कोरोना कहर को लेकर लोगों की आय में कुछ खास वृद्धि नहीं हुई। ऐसे में लोगों की उम्मीद है कि आगामी बजट महंगाई से निजात दिलाने के साथ-साथ लोगों की जेब में पैसे भी दे जाए। रसोई की थाली से अर्थव्यवस्था की थाली सजी-संवरी दिखे।

विशेष पैकेज की जरूरत – धर्म पाल
आम बजट में युवाओं के लिए रोजगार को प्रमुखता दी जानी चाहिए। इसी प्रकार से देश के किसान, भारत के भविष्य विद्यार्थी की उच्च शिक्षा, लघु कारोबारियों, ग्रामीण क्षेत्र, पिछड़े इलाकों तथा मध्यम वर्ग पर मोदी सरकार को आम बजट में विशेष पैकेज दिलाने की जरूरत है जिससे कोविड महामारी के कारण डगमगाई अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाया जा सके।

एमएसएमई को मिले राहत – फकीर चंद
कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक संकट का सामना कर रहे छोटे और मझोले कारोबारियों को राहत देने के उद्देश्य से सरकार इन नियमों में ढील देने की घोषणा कर सकती है। बजट में एमएसएमई के लिए बड़ी राहत का ऐलान हो सकता है। सरकार एमएसएमई से जुड़े एनपीए क्लासीफिकेशन पीरियड को 90 दिन से बढ़ाकर 120-180 दिन करने की घोषणा कर सकती है।

राहत वाला हो बजट – गोरा लाल
आम बजट जन सामान्य के लिए राहत प्रदान करने वाला होना चाहिए। रसोई गैस, अनाज, रेलवे एवं इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद के दामों में वृद्धि नहीं की जानी चाहिए। कौशल विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सेना के आधुनिकीकरण मद में वृद्धि के लिए बजट में कारगर प्रयास आवश्यक है। निजी एवं सरकारी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की खर्च शक्ति बढ़ाने के उपाय होने चाहिए।

आम आदमी का विश्वास जगे – जयपाल गोयल
आगामी बजट में वित्त मंत्री महंगाई से निजात दिलाने के साथ ऐसे उपाय भी करेंगी जिससे लोगों के जेब में कुछ पैसे भी आएं। अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए नई योजनाओं का ऐलान भी संभव है। पिछले बजट में सरकार ने पुराने कर विवादों को निपटाने के लिए विवाद से विश्वास स्कीम का ऐलान किया। नए बजट से लोगों को उम्मीद हैं जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

अर्थव्यवस्था मजबूत की जाए – नरेश चौधरी
बजट में सरकार का ध्यान अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने उपायों पर रहेगा। सरकार बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास मसलन सडक़ और किफायती आवास जैसे उपायों पर खर्च ज्यादा कर सकती हैं। सरकार एमएसएमई को मदद दे सकती हैं। कोरोना के दर्द को कम करने के लिए बजट में ऐसे निवेश पर ध्यान दे सकती है जिससे ज्यादा रोजगार उत्पन्न हो सके।

रोजगार बढ़ाने वाला हो बजट – प्रमोद मोदी
लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था और उद्योग के साथ आमजन की हालत खराब है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बाजार में मांग बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने होंगे। कोरोना के कारण बेरोजगारी बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिए मनरेगा के बजट में भारी वृद्धि के साथ ही शहरी क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने के लिए मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना का ऐलान बजट में होना चाहिए। इसके साथ ही ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे पर अधिक आवंटन हो। बजट में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए अधिक पैसा देने पर जोर दिया जाए। बजट में राजकोषीय घाटे की चिंता किए बगैर खासकर लघु एवं मझोले उद्योगों के लिए आर्थिक पैकेज का प्रावधान हो।

पार्टनरशिप फर्म पर भी घटे कर – प्रशोत्तम कुमार
बजट में कॉरपोरेट की तरह पार्टनरशिप फर्म और लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप को भी 22 फीसदी कर दायरे में लाने की घोषणा होनी चाहिए। स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) का प्रावधान सालाना कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक कारोबार करने वालों पर लागू हो। बढ़ते ई-कॉमर्स कारोबार से ऑफलाइन खुदरा कारोबारियों को नुकसान से बचाने के लिए ई-कॉमर्स पर 5 फीसदी विशेष कर लगे। ‘विवाद से विश्वास योजना’ की तरह जीएसटी स्टेटमेंट में किसी भी प्रकार की गलती के सुधार के लिए एमनेस्टी स्कीम लाई जाए। बजट में कारोबारियों के लिए कर्ज पर ब्याज में सबवेंशन योजना का प्रावधान हो। बजट में मांग बढ़ाने के उपाय किए जाएं। कोरोना महामारी के कारण कुछ कारोबारियों द्वारा छंटनी करने से उनके यहां 200 से कम कर्मचारी हो गए हैं लेकिन पीएफ नियमों के मुताबिक उन्हें अभी भी इसके प्रावधानों का पालन करना है। इसे दो साल के लिए स्थगित किया जाए।

बजट में मांग बढ़ाने के हों ठोस उपाय – संदीप बांसल
बजट किसानों को यह विश्वास दिलाने का एक सुअवसर है कि अनाज से परे भी नकदी फसलों की खेती की जा सकती है। बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत ढांचे व ग्रामीण विकास व्यय में वृद्धि की जाए। रोजगार सृजन में वृद्धि व महंगाई में कमी के उपाय किए जाएं। निर्यात प्रोत्साहन, व्यापार घाटे में कमी और एफडीआई नीति में ढील को लक्ष्य बनाया जाए। मांग में सृजन व कारोबारी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाए।

सबका ध्यान रखें – प्रेम सिंघल
आम बजट कोविड के बाद सभी के लिए खुशियों की बहार लेकर आए। इसमें किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के लिए पर्याप्त धन राशि हो। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे पर जोर के साथ एमएसएमई को भी बढ़ावा मिले। रेलवे में सुधार और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय हों। शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए पर्याप्त धन राशि आवंटित हो।

मांग बढ़ाने की दरकार – वकील वरिन्द्र गोयल
कोरोना और लॉकडाउन से न केवल सरकारी खजाने पर असर पड़ा है बल्कि छोटे-बड़े उद्योगों सहित सबकी स्थिति खराब हो गई है। बेरोजगारी भी बढ़ी है। अत: बजट में बाजार में मांग बढ़ाने और निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। बजट में एमएसएमई को प्रत्यक्ष रूप से रियायत देनी चाहिए जिससे रोजगार बढ़े और लोगों के हाथ में नकदी उपलब्ध हो।

नागरिकों की सुविधा में हो बढ़ौतरी – शशि सिंगला
बजट में नागरिकों की प्राथमिक सुविधाओं पर बजट को दोगुना करना चाहिए। ताकि भविष्य में आने वाली तमाम चुनौतियों से निपटा जा सके। महामारी के कारण उभरे आर्थिक संकट से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत और लोकल फॉर वोकल जैसे अभियानों पर खर्च बढ़े जिससे रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर लौटेगी। कृषि क्षेत्र में बजट बढ़ाने के साथ नागरिकों को ब्याज दर और करों में छूट मिले।

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