जालंधर, 8 दिसंबर (प्रेस की ताकत बयूरो)- केंद्र की मोदी सरकार ने अभी जैसे किसान कानून वापस लेने का ऐलान किया तो उस के बाद पार्टी की पंजाब सम्बन्धित संभावत रणनीति का खुलासा होने लगा। प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी के ऐलान के बाद इन कानूनों को सदन में वापस लेने का भी फ़ैसला ले लिया गया है। इस के साथ ही पंजाब में भाजपा की रणनीति अब आगे की तरफ चलने लगी है। पार्टी पंजाब में इस से पहले शिरोमणी अकाली दल बादल के साथ मिल कर चयन लड़ती रही है परन्तु अकाली दल की तरफ से समर्थन वापस लिए जाने के बाद अब भाजपा पंजाब में बादल परिवार के साथ समस्या पैदा कर सकती है।
वास्तव में पार्टी पंजाब में 23 सीटों पर अब तक चयन लड़ती रही है परन्तु अब पार्टी ने सभी 117 सीटों पर चयन लड़ने का मन बना लिया है। बेशक पार्टी सूबो में पूर्व मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह और शिरोमणी अकाली दल के सीनियर नेता रहे सुखदेव सिंह ढींडसा को साथ ले कर मैदान में उतरन की योजना पर काम कर रही है परन्तु इस के बावजूद पार्टी पंजाब में बड़े सिक्ख चेहरों की खोज में लगी हुई है। अभी जैसे भाजपा ने दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान मनजिन्दर सिरसा को पार्टी में शामिल करवाया, जिस के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हैं। यही नहीं, जालंधर के एक पूर्व अकाली विधायक से ले कर लगभग 2दर्जन ओर नेताओं को पार्टी में शामिल किया जा चुका है और इस में ख़ास बात यह है कि इन में ज़्यादातर सिक्ख चेहरे थे, जिन्होंने भगवा पार्टी का हाथ पकड़ा है।
पंजाब में सिक्ख वोट बैंक
सिक्ख वोट बैंक को लुभाउण के लिए भाजपा ने पिछले कुछ समय में कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिस से लग रहा है कि पार्टी पंजाब को ले कर अब गंभीर हो गई है। करतारपुर साहब कॉरिडोर खुल्ल्हवाउण की बात हो या खेती कानूनों को वापस लेने की, भाजपा ने दोनों बड़े कदम उठाए और साथ ही ‘नया पंजाब भाजपा के साथ ’ सलोगन दे कर पंजाब निवासियों, ख़ास तौर पर सिक्ख वर्ग को लुभाउण की कोशिश की है। पंजाब में जिस तरह ऐस्स. सी. वोट बैंक अहम भूमिका रखता है, उसी तरह सिक्ख वोट बैंक की भी बड़ी संख्या है। 2011 के मरदमशुमारी आंकड़ों से अनुसार पंजाब में लगभग 58 प्रतिशत सिक्ख वोट बैंक है, जो सूबो में सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाउंदा है। सिक्ख वोट बैंक का समीकरन
पंजाब में सिक्ख वोट बैंक मुख्य तौर पर 3हिस्सों में बँटा है, जिस में जाट सिक्ख, ओ. बी. सी. सिक्ख और ऐस्स. सी. सिक्ख वोट शामिल हैं। पंजाब में कुल वोट का 20 प्रतिशत के लगभग जाट सिक्ख वोट है। 2017 की विधान सभा मतदान में पंजाब में जाट सिक्ख वोट बैंक 37 प्रतिशत ’और, ओ. बी. सी. सिक्ख वोट बैंक 32 प्रतिशत पर और ऐस्स. सी. सिक्ख वोट 34 प्रतिशत पर काबिज़ रहा। अकाली -भाजपा के ख़ैमे में जितना भी यह प्रतिशत है, उसे अपने पक्ष में करन के लिए भाजपा इस समय पर बड़ा गेम पलाण बना रही है और सिक्ख भाईचारे को अपने तरफ खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।
भाजपा की रणनीति
पंजाब में भाजपा की तरफ से लगभग एक दर्जन बड़े सिक्ख नेताओं की सूची तैयार की गई है, जिन को भाजपा में शामिल होने का न्योता दिया गया है। कईयों के साथ अजय चर्चा चल रही है। पार्टी इन्हों नेताओं को यह फूल भी दे रही है कि अगर वह पार्टी में शामिल नहीं भी होना चाहते तो भी सहयोगी पार्टी के तौर पर उन के साथ आ सकते हैं। भाजपा अजय ओर सिक्ख चेहरों को अपने साथ ला कर अकाली दल बादल के लिए परेशानी पैदा कर सकती है।