भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में निकली शोभायात्रा का कच्चा बाज़ार में स्वागत करके सभी देशवासियों को इसकी हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए इनेलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि ऋषि जमादग्नि तथा रेणुका के पांचवें पुत्र व भगवान विष्णु के 6वें अवतार के रूप में परशुराम पृथ्वी पर अवतरित हुए। परशुराम वीरता के साक्षात उदाहरण थे। हिन्दू धर्म में परशुराम के बारे में यह मान्यता है, कि वे त्रेता युग एवं द्वापर युग से अमर हैं। परशुराम की त्रेता युग दौरान रामायण में तथा द्वापर युग के दौरान महाभारत में अहम भूमिका है। रामायण में सीता के स्वयंवर में भगवान राम द्वारा शिवजी का पिनाक धनुष तोड़ने पर परशुराम सबसे अधिक क्रोधित हुए थे। उनकी तपस्या से एक बार शिवजी ने प्रसन्न होकर वरदान देते हुए कहा कि परशुराम का जन्म धरती के राक्षसों का नाश करने के लिए होगा। इसीलिए भगवान शिवजी ने परशुराम को, देवताओं के सभी शत्रु, दैत्य, राक्षस तथा दानवों को मारने में सक्षमता का वरदान दिया। इस शुभावसर पर कुछ लोग इस दिन उपवास रख कर वीर एवं निडर ब्राह्मण रूप भगवान परशुराम की तरह पुत्र की कामना करते हैं और मानते हैं कि परशुरामजी के आशीर्वाद से उनका पुत्र पराक्रमी होगा। वराह पुराण के अनुसार, इस दिन उपवास रखने एवं परशुराम को पूजने से अगले जन्म में राजा बनने का योग प्राप्त होता है।