जानकारी के अनुसार दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा महावीर टाउन हॉल बाड़मेर में पांच दिवसीय श्री हरि कथा का आयोजन किया गया है। कथा 26 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगी। कार्यक्रम का समय है सायं 4 बजे से 7 बजे तक रहेगा ।
सस्थान के अनुसार दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्वश्री आशुतोष महाराज जो समाज को जागरूक करके उसमें भारत की वैदिक संस्कृति को पुनः जगा रहे हैं। इसके लिए वे देश भर में अपने समर्पित शिष्यों को भेज कर जगह जगह आध्यात्मिक क्रांति को फैला रहे हैं। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के समर्पित साधकगण अपने गुरुदेव की प्रेरणा से राम राज्य को पुनः साकार करने के लिए इस ब्रह्मज्ञान का जोरों शोरों से प्रचार प्रसार कर रहे हैं। श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं की ब्रह्मज्ञान अर्थात उस ब्रह्म उस परम सत्ता को जान लेना उसे देख लेना जो कण कण में विराजमान है। इतिहास में भी हमे इसके कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जैसे जगतगुरु भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ब्रह्मज्ञान देकर उसे अपना विराट रूप दिखाया और उसके बाद तो उसकी दशा ही बदल गई।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी भी आज वही ब्रह्म ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे हैं जिस ब्रह्मज्ञान की चर्चा भगवान कृष्ण एवं भगवान राम एवं सभी महान पुरुषों ने की।
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान समाज में कई सारे सामाजिक प्रकल्प भी चला रही हैए जैसे उनका एक प्रकल्प है मंथन जिसमे वह देशभर में अभावग्रस्त बच्चों को सम्पूर्ण शिक्षा से साथ साथ उनमें संस्कार भी रोपित कर रही है। ऐसे ही संस्थान की नूरमहल आश्रम पंजाब में एक कामधेनु गौशाला भी है जिसे भारत सरकार की ओर से उत्तर भारत की नंबर 1 गौशाला का पुरस्कार मिला है। नेत्रहीन और दिव्यांग बंधुओं के लिए संस्थान उन्हें रोजगार प्रदान कर रही हैए उन्हें अपने हाथों से साबुनए मोमबत्ती बनाना सिखाया और आज वे अपने पैरों पर खड़े हैं।
तिहाड़ जेल में भी संस्थान को सरकार ने आश्रम खोल के दिए हैं ताकि वहां के कैदियों पर काम किया जा सकेए खूंखार कैदियों में हैरत एंगेज परिवर्तन देखने को मिला है।
बाड़मेर में आज कथा का दूसरा दिवस था। आज की कथा में कथा व्यास साध्वी अनंता भारती जी ने भी यही बताया कि एक जिज्ञासु प्रभु के पावन दरबार में आकर मात्र सांसारिक वस्तु नहीं अपितु ब्रह्मज्ञान की मांग करता है क्योंकि शास्त्रों में वर्णित है दृ ऋते ज्ञानात् न मुक्ति अर्थात ब्रह्माज्ञान के बिना जीवन में मुक्ति कदापि संभव नहीं।