लोकतंत्र मंे जनता द्वारा जनप्रतिनिधि को चुना जाता है जिससे की जनता की आवश्यकताओं परिस्थितियों को सक्षम अधिकारी तक पहुंचा कर उचित सुविधाएं व्यवस्थाएं जनता को मुहैया करवाई जा सके लेकिन वही प्रतिनिधित्व को लेकर राजनेताओं में जब जंग छिड़ जाए तो जनता की सुध कौन ले, जी हां बाड़मेर जिले के बालोतरा मंे माजरा कुछ ऐसा ही दिखाई दे रहा है नया बस स्टैण्ड चौराहे के पास से निजी चिकित्सालय की ओर जा रही सड़क पर। इस सड़क पर एक बड़ा सा खडडा जहां हर समय पानी भरा रहता है और वहीं पास मंे सड़क के बीचोंबीच पत्थरों का पहाड़ सा खड़ा है इस सड़क की ये दुर्दशा कुछ दिनों से नहीं बल्की एक वर्ष से भी अधिक समय से है। जनता की मानें तो इसकी शिकायत नगरपरिषद से लेकर उपखण्ड अधिकारी तक को कई बार की जा चुकी है पर हालात ज्यों के त्यों है। स्थानीय व्यक्तियों ने बताया कि कई बार अधिकारी आकर देख कर गए पर सिवा आश्वासन के आज तक कुछ नहीं हुआ । गौरतलब है कि इस सड़क पर एक महत्वपूर्ण निजी चिकित्सालय है जिस ओर प्रतिदिन सैंकड़ों की संख्या मंे विभिन्न प्रकार के रोगियों को गर्भवती महिलाओं को इन खड़ड़ों भरी पानी से भरी टूटी सड़क से गुजरना पड़ता है और भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन पार्षद से लेकर विधायक तक के जनप्रतिनिधि और नगरपरिषद से लेकर उपखण्ड अधिकारी तक के अधिकारीयों को इस ओर ध्यान देने की शायद जरूरत महसूस नहीं हुई।
अब देखना ये है कि खुद से तो नहीं पर मीडिया की दखलअंदाजी के बाद क्या प्रशासन और प्रतिनिधियों की आंख खुलेगी या फिर यूं ही कुंभकर्णी नींद में सोते रहेंगे