छिंदवाड़ा(भगवानदीन साहू) – कई धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों ने 30 मार्च 2022 को जिला कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , केंद्रीय गृहमंत्री एवं मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के नाम ज्ञापन देकर सन्त श्री आशारामजी बापू के प्रकरण में न्याय सिद्धांतों के दुरुपयोग रोकने की मांग की थी। ज्ञापन में बताया कि 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर जेल में संत श्री आशारामजी बापू के विरूध्द जो फैसला सुनाया गया वह विधि सिध्दांतों के विरूध्द करोड़ो – करोड़ों लोगों के जनभावनाओं के विपरीत है। आई.पी.सी. की धारा 370 ( 4 ) नाबालिक की तस्करी दण्ड 10 वर्ष कठोर कारावास ; इसमें आशारामजी बापू के साथ सहआरोपी बनाये गए शरदचंद्र पोटाला एवं शिल्पी गुप्ता पर आरोप है कि इन्होंने लड़की को बापूजी के पास भिजवाया ! जबकि वास्तविकता यह है कि आरोप लगाने वाली लड़की के पिता ने गुरुकुल के प्राचार्य को लिखित रूप से छुट्टी का प्रार्थना पत्र देकर लड़की को अपने साथ शाहजहाँपुर ले गये । वहाँ से दिल्ली , जोधपुर गये लड़की स्वयं के माता – पिता के साथ गई । फिर किस आधार पर नाबालिक तस्करी का अरोप सिद्ध किया गया है !?? आईपीसी की धारा 376 ( 2 ) , 376 ( डी ) सजा उम्र कैद जिसमें न्यायालय ने दुष्कर्म करना पाया । जबकि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार दुष्कर्म की कहीं भी पुष्टी नहीं हुई। तथा एफ.आई.आर में तो दुष्कर्म का जिक्र तक नहीं है। तथाकथित घटना के समय उक्त लड़की मोबाइल पर 1 घंटा व्यस्त थी , तथा पूज्य बापूजी तथाकथित घटना के समय वहाँ थे ही नहीं । इस प्रकरण में दो अन्य आरोपी शिवा एवं प्रकाश को न्यायालय ने बाईज्जत बरी किया । इन पर आरोप था कि लड़की को इन लोगों ने बापूजी के पास भिजवाया। यहाँ न्यायालय ने माना कि शिवा प्रकाश जोधपुर में थे ही नहीं। ऐसे बचाव पक्ष के हजारों गवाह न्यायालय ने देखा ही नहीं ! 25 अप्रैल 2018 को जब यह फैसला सुनाया जाना था उसके पूर्व ही विदेशों से आर्थिक सहायता प्राप्त मिडिया को कैसे पता चला कि आशाराम बापू को दस वर्ष या उम्र कैद की सजा हो सकती है! वहीं केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राजस्थान , हरियाणा , गुजरात में हाई अलर्ट क्यों घोषित किया?? नीचली अदालत की गलती ठीक करने के लिए उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय तक गत 4.5 वर्षों से चक्कर लगाया जा रहा है परंतु यहाँ सिर्फ तारीख के अलावा कुछ नहीं मिला । पूरे प्रकरण में न्यायपालिका की क्षवि खराब हो रही है । पूरे देश से पूज्य बापूजी की रिहाई के लिए राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री तक लाखों आवेदन पत्र गयें , जो कार्यवाही हेतु राजस्थान प्रशासन को भेज गए । परंतु कार्यवाही कुछ नहीं हुई। क्या महामहिम राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री एवं करोड़ो – करोड़ो लोगों की जनभावना से भी ऊपर न्यायपालिका है!? इस संबंध आवश्यक कार्यवाही की मांग की थी जिस पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेकर श्री साहू को पत्र द्वारा जानकारी दी। जिसका प्रकरण क्रमांक 26480 / sci / pil E 2022 है। सुप्रीम कोर्ट की इस पहल से करोड़ों करोड़ों साधकों में उत्साह की लहर है। इसके पूर्व राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है जिसका प्रकरण क्रमांक 1710 / 20 / 19 / 2022 है।
ज्ञापन देते समय साध्वी रेखा बहन , साध्वी प्रतिमा बहन , आधुनिक चिंतक हरशुल रघुवंशी , शिक्षाविद विशाल चवुत्रे , कुनबी समाज के अंकित ठाकरे , राष्ट्रीय बजरंग दल के नितेश साहू , कलार समाज के सुजीत सूर्यवंशी , पवार समाज के हेमराज पटले , युवा सेवा संघ के नितिन दोईफोड़े , ओमप्रकाश डहेरिया , आई टी सेल के प्रभारी भूपेश पहाड़े , नारी रक्षा मंच से दर्शना खट्टर , विमल शेरके , डॉ. मीरा पराडकर , छाया सूर्यवंशी , करुणेश पाल , शकुन्तला कराडे , योगिता पराडकर आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे ।
सामाजिक कार्यकर्ता:-
भगवानदीन साहू
पता:- प्रियदर्शिनी कालोनी छिंदवाड़ा (म.प्र.) – 480001 मोबाइल – 9303216892