पटियाला, 2 अगस्त(प्रेस की ताकत बयूरो): पंजाबी विश्वविद्यालय,पटियाला में पंजाब सरकार के केबिनेट मंत्री विजयइन्द्र सिंगला व समाज के अथक प्रयासों के पश्चात स्थापित की गई महाराजा अग्रसेन शोधपीठ/चेयर के प्रचार प्रसार व स्थापना के उद्देश्य को पूरा करने हेतु कार्य को तेजी देने बारे अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री व पंजाब प्रदेश समेत उतरी भारत प्रभारी विजय बंसल एडवोकेट के नेतृत्व में पीके बंसल(चेयरमेन पंजाब अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन),तरसेम मित्तल(मुख्य सम्पादक,वैश्य वैभव),राकेश जैन प्रधान पटियाला अग्रवाल सभा,रमेश सिंगला,देविंदर जैन,आरएम बंसल,केके बंसल,अजय,नरेश कुमार,दीपांशु बंसल,सुरेंद्र मित्तल,बृज भूषण गर्ग,अनिल अग्रवाल,रोहताश गुप्ता,योगेश अग्रवाल,इंजीनियर जेके गुप्ता,सीए अंजन बंसल,अनिल गोयल बिट्टू,विनीत बंसल,राकेश मंगला,वरुण जिंदल समेत हरियाणा,चंडीगढ़ व पंजाब से अग्रवाल समाज के प्रतिनिधि पंजाबी विश्वविद्यालय,पटियाला के उप कुलपति को विश्वविद्यालय परिसर में निजी रूप से मिलकर 9 सूत्रीय सुझाव पत्र सौपने पहुंचे जिसपर वीसी प्रो0 अरविंद ने लगभग सभी मांगो व सुझावों को मान लिया है और आश्वस्त किया है कि इस चेयर को जल्द से जल्द सक्रिय करने का काम अमल में लाया जाएगा।विजय बंसल ने बताया कि पंजाबी विश्वविद्यालय,पटियाला(पंजाब) में दिसम्बर,2017 में 4 करोड़ की अनुदान राशि जारी करते हुए महाराजा अग्रसेन चेयर/शोधपीठ की शुरुआत की थी जिससे रिसर्च स्कॉलर्स महाराजा अग्रसेन की जीवनी पर शोध करके ज्ञान अर्जित कर सकेंगे व पीएचडी की डिग्री हासिल कर पाएंगे लेकिन किन्ही कारणों से पिछले काफी समय से यह चेयर निष्क्रिय है और इसके लिए जारी की गई राशि का लाभ छात्रों को नही मिल पा रहा,यही कारण है कि इस अनुदान राशि को चेयर के प्रचार प्रसार में नही लगाया जा सका।
तरसेम मित्तल ने बताया कि महाराजा अग्रसेन चेयर/शोधपीठ की सक्रियता के कार्य को आगे बढ़ाने, प्रचार प्रसार को बढ़ाने व इस चेयर की स्थापना के उद्देश्य को पूरा करने हेतु तेजी देने के लिए 7 जुलाई 2021 को पंजाब भवन,चंडीगढ़ में श्री विजयइन्द्र सिंगला जी(केबिनेट मंत्री,पंजाब सरकार) से विजय बंसल के नेतृत्व में अग्रवाल समाज के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की थी जिस दौरान इस विषय पर काफी परामर्श,चर्चा व बातचीत की गई थी।
विजय बंसल ने सुझाव दिया है कि महाराजा अग्रसेन चेयर के लिए अलग विभाग बनाया जाए जिसमे स्थाई चेयरमेन के साथ विशेषज्ञों की टीम बनाकर कार्य को तेजी देने,महाराजा अग्रसेन के जीवन मूल व सिद्धान्तों का पालन करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को स्कालरशिप तथा प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की योजना बनाकर अग्रवाल समाज के विद्यार्थियों, अनुयायियों को प्राथमिकता देने,इसके साथ ही कलयुग अवतारी भगवान महाराजा अग्रसेन,समस्त अग्रवाल समाज व अग्रोहा के इतिहास पर हिंदी,अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में प्रकाशित विभिन्न पुस्तको को विशेषकर पंजाबी भाषा मे अनुवाद करवाकर विश्वविद्यालय परिसर,पंजाब व चंडीगढ़ में उपलब्ध करवाना,महाराजा अग्रसेन के जीवन,इतिहास में उनसे जुड़े किस्से,आदर्शो-सिद्धान्तों व उनके द्वारा दिए सामाजिक उत्थान के लिए कार्यो पर विद्यार्थियों से शोध करवाकर विभिन्न पटलों पर अपने स्तर पर प्रकाशित करवाने तथा महाराजा अग्रसेन जी के जीवन को बेहतर रूप से समझने के लिए व समाज के लोगो को चेयर/शोधपीठ से जोड़ने के लिए विश्वविद्यालय या फिर चेयर के लिए बनाए जाने वाले विभाग द्वारा महाराजा अग्रसेन जयंती-समारोह का आयोजन समय समय पर करवाने के लिए नीति बनाना,पंजाब प्रदेश,चंडीगढ़,हरियाणा,हिमाचल व निकटवर्ती प्रदेशो के सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि में महाराजा अग्रसेन से जुड़े विभिन्न विषयो पर वाद-विवाद/भाषण/लेखन/कविता समेत अन्य प्रतियोगिताओ का आयोजन करवाकर प्रतिभागियो को पुरस्कृत करने की योजना बनाना,महाराजा अग्रसेन जी के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न सेमिनार/वेबिनार्स/आर्टिकल्स प्रसारण समेत अन्य माध्यमो का उपयोग कर विद्यार्थियों को आकर्षित करने की योजना बनाने,महाराजा अग्रसेन से जुड़े विषयो,इतिहास आदि को प्रसारित करने के लिए व विद्यार्थियों/स्टाफ द्वारा ली जाने वाली रुचि के प्रसारण हेतु एक त्रैमासिक या फिर कोई अन्य समयसारणी अनुसार पत्रिका शुरू करने के लिए निर्देशित करने,महाराजा अग्रसेन शोधपीठ/चेयर में छात्रों को पीएचडी करने के लिए विभिन्न माध्यमो से विज्ञापन आदि भी देने का काम किया जाए।वीसी ने आश्वस्त करते हुए लगभग सभी मांगो व सुझावों को मानलिया है।
विजय बंसल ने कहा कि महाराजा अग्रसेन जी समाजवाद के सबसे अग्रर्णी थे जिन्होंने संसार को एक धागे में पिरोते हुए भेदभाव को खत्म करते हुए अपने राज्य में आने वाले हर आगुन्तक परिवार को एक रुपया एक ईंट देने का संकल्प लिया हुआ था।महाराजा अग्रसेन अहिंसा के पुजारी थे जिन्होंने पशु बलि के खिलाफ होकर क्षत्रिय से वैश्य वर्ण धारण कर लिया।कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत के युद्ध मे अपने पिता सहित युद्ध किया।महाराजा अग्रसेन का योगदान आज भी इतिहास के पन्नो में दर्ज है।