जनसमस्याओं के प्रति उदासीन बजट।
अम्बाला,08 मार्च (जगदीप सिंह)-हरियाणा सरकार के बजट को आंकड़ो की बाजीगिरी व जनता को राहत दिए बगैर जनता जेब पर डाका भी डालने वाला करार देते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि बजट में रोटी कपड़ा और मकान जो प्रत्येक व्यक्ति की आधारभूत आवश्यकता है उसका इंतज़ाम भी नही किया गया। झटक कोई नया टैक्स या वित्तीय बोझ न डालने की बात है तो वहां सरकार ने बजट से पहले ही 40 लाख नई प्रोपेर्टी आईडी बना दी गई है जिनसे हज़ारों करोड़ का बोझ पहले ही जनता पर डाल दिया गया है। ग्रामीण छेत्र में रजिस्ट्री पर स्टाम्प ड्यूटी की दर भी महिलाओं के लिए 3 प्रतिशत से बड़ा कर 5 प्रतिशत कर दिया गया और पुरषो के लिए 5 प्रतिशत से बढकर 7 प्रतिशत। जनता की जीभ पर बजट से पूर्व ही डाल दिया गया था तो फिर बजट ने वाहवाही की लूट कैसी। आज के बजट को बॅलेन्स हीं करार देते हुए उन्होंने कहाकि कोरोना महामारी से त्रस्त जनता को कोई राहत नही दी गयी। कृषि छेत्र जिसका प्रदेश की जीडीपी में 17 प्रतिशत हिस्सा है उस पर मात्र 3 प्रतिशत खर्च का प्रावधान करना मानसिक दिवालिएपन का सजग उदाहरण है। कर्ज के बोझ तले पहले से ही दबी अर्थव्यवस्था में 20010 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज चढ़ाना खान तक अक्लमंदी है यह तो बजट बनाने वाले ही जाने लेकिन महंगाई, बेरोजगारी कम करने व उद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नही किया गया। उद्योग चित्र के लिए 1,77,255 करोड़ के बजट में मात्र 598 करोड़ रुपये का प्रावधान यानी मात्र दशमलव 3 प्रतिशत यह दर्शाता है कि सरकार की उद्योगीकरण के प्रति कोई रुचि नही। इसके अतरिक्त आयुष्मान कार्ड व पीले कार्ड बनाकर गरीबो को राहत देने की कोई व्यवस्था नही दी गयी। रजिस्ट्री के सरलीकरण की बात मुख्यमंत्री ने की लेकिन ऑनलाइन व्यवस्था के पश्चात रजिस्ट्री करवाना टॉप के लाइसेंस लेने की समान हो गया, एक रजिस्ट्री करवाने में 2 से 3 महीने लगते हैं। शिक्षा के छेत्र में धारा 134 A व रजिस्ट्री के छेत्र में धारा 7A का वर्णन तक न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। वैध व अवैध कॉलोनियों के विरोधाभास में फंसी जनता को कोई राहत नही दी गयी। आर्थिक मंदी दूर करने का लेश मात्र भी प्रयास नही किया गया। कुल मिलाकर अंधेर नगरी चोपट राजा वाली कहावत यहां पूरी तरह चरितार्थ होती है। भ्र्ष्टाचार, अव्यवस्था, जनधन की बर्बादी को रोकने का कोई प्रयास नही किया गया। सबको आवास देने का जुमला देने वाली सरकार ने आवास छेत्र के लिए मात्र 383 करोड़ की भाव मात्र 0.15% का प्रावधान किया गया। कोरोना मृत्यु व शहीद किसानों के लिए भी कुछ सोच तक नही गया । अब तक हुए दर्जनों घोटालो पर पर्दा डालने की कोशिश की गई इसलिए इनका नाम भी नही लिया गया। कुल मिला कर बजट का आंकलन बिल्कुल बेकार है और इसे 10 में से जीरो अंक देना ही उचित होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में अंधी पीस रही है और दलाल खा रहे हैं।