नई दिल्ली- मोदी सरकार अब देश को नौनिहालों और महिलाओं की सेहत सुधारने के मिशन में जुट गई है। अगले तीन साल में पूरे देश में इसे मिशन मोड में लागू किया जाएगा। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक में इसके लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन के गठन की हरी झंडी मिल गई है। मिशन का काम बच्चों और महिलाओं के कुपोषण को दूर करने के लिए चल रही सभी सरकारी योजनाओं के बीच समन्वय करना और उन्हें अंतिम लाभार्थी तक पहुंचाना होगा। कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि तीन साल में पूरे मिशन पर 9046 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इस मिशन का उद्देश्य नवजात बच्चों, उनकी मांओं और गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ लड़कियों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है। ताकि उनका मानसिक व शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं हो सके। नड्डा ने कहा कि देश में महिलाओं और बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने की कई योजनाओं चल रही हैं। लेकिन इसके बावजूद शारीरिक व मानसिक रूप से अल्पविकसित बच्चों की बड़ी संख्या अब भी बरकरार है। महिला व बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने बताया कि इस मिशन को तीन सालों के भीतर तीन चरणों में देश के सभी जिलों में लागू किया जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष में इसे 315, अगले साल 215 और 2019-20 में बाकी बचे जिलों मे लागू किया जाएगा। केंद्रीय महिला व बाल विकास सचिव आरके श्रीवास्तव के अनुसार इस मिशन का सबसे अधिक जोर चालू योजनाओं में भ्रष्टाचार और लीकेज पर लगाम लगाना होगा और इसके लिए सभी लाभार्थियों को आधार नंबर से जोड़ दिया जाएगा। साथ ही सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को इंटरनेट पर आधारित आनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ा जाएगा। ताकि महिला और बच्चों के विकास पर नजर रखा जा सके।बच्चों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में लंबाई मापने की मशीन भी रखी जाएगी। इस समय आंगनबाड़ी केंद्रों में रजिस्टर पर उपस्थिति दर्ज की जाती है।