अहमदाबाद/राजकोट – गुजरात में ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की राह पर राहुल गांधीओझा और मोरारी बापू उन प्रभावशाली आध्यात्मिक लोगों में से एक हैं, जिनका गुजरात की बड़ी आबादी पर प्रभाव है। हिंदुओं में ही कई तरह के संप्रदाय गुजरात में प्रचलित हैं और इनका लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव है। आमतौर पर ये संगठन राजनीतिक टिप्पणियां नहीं करते, लेकिन एक मामूली संकेत भी अनुयायियों के मतदान की दिशा को तय कर देता है। इन मठों की अपील का ही असर है कि बड़े पैमाने पर अनुयायी तंबाकू, शराब या मांसाहार का सेवन नहीं करते। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर गुरु और संप्रदाय बीजेपी और खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रचार के दौरान लगातार मंदिरों में मत्था टेक रहे हैं। लेकिन, पीएम मोदी का ज्यादातर मठों के मठाधीशों और संप्रदाय प्रमुखों से व्यक्तिगत स्तर पर संबंध है। ऐसे में यह देखना होगा कि राहुल गांधी को मंदिरों और मठों से कितना आशीर्वाद मिलता है। 2014 में देश के आम चुनावों में बीजेपी की बंपर जीत के बाद अंबाजी मंदिर में हुए प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान संतों ने पीएम मोदी को ‘भारत का भाग्यविधाता’ करार दिया था। एक साल पहले ही स्वामी नित्यस्वरूपदास ने कहा था कि यदि हम देश को सुरक्षित बनाना चाहते हैं तो हमें पीएम नरेंद्र मोदी को मजबूत करना होगा। रविवार को ही पीएम मोदी अहमदाबाद में स्वामीनारायण संप्रदाय की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। राजनीतिक विश्लेषक शिरीष काशिकर कहते हैं कि संप्रदायों की परंपरा के प्रभाव के चलते गुजरात की बड़ी आबादी कांग्रेस के सेक्युलरिज्म से खुद को नहीं जोड़ती, जिसे लेकर देश भर में कांग्रेस की पहचान है। स्वाध्याय परिवार, गायत्री परिवार से लेकर बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था और अन्य स्वामीनारायण संप्रदायों से लेकर तमाम कथावाचक हिंदू विचारक के तौर पर काम करते हैं।