कॉमनवेल्थ देशों से सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारत में आ रहा है. यही नहीं, कॉमनवेल्थ देशों में ब्रिटेन के बाद निवेश हासिल करने के लिए दूसरा सबसे आकर्षक स्रोत भी भारत ही है.
गौरतलब है कि कॉमनवेल्थ के 53 सदस्य देश हैं. यह उन देशों का संगठन है जिन पर कभी न कभी ब्रिटेन का शासन रहा है. अगले हफ्ते कॉमनवेल्थ राष्ट्राध्यक्षों (CHOGM) की लंदन में एक बैठक होने जा रही है जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे. इस बैठक से पहले जारी एक ‘कॉमनवेल्थ ट्रेड रीव्यू 2018’ में यह आंकड़े जारी किए गए हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कॉमनवेल्थ के भीतर सेवाओं के व्यापार में भी भारत पांच सबसे शीर्ष देशों में से एक है. इस मामले में उसने कनाडा को पीछे छोड़ दिया है.
इसके अलावा इनमें ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और ब्रिटेन शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005 से 2016 के बीच कॉमनवेल्थ देशों से एफडीआई पाने वाला भारत शीर्ष देश रहा. यह एकदम नए सिरे से किया जाने वाला निवेश है.
इतना ही नहीं, यह कॉमनवेल्थ देशों के अलावा दुनिया के अन्य देशों से भी सबसे ज्यादा एफडीआई पाने वाला देश रहा है. साल 2015 में यह चीन को पछाड़कर नए सिरे एफडीआई पाने वाला सबसे बड़ा देश बन गया. नए सिरे से किये जाने वाले एफडीआई से तात्पर्य ऐसे निवेश से है जहां कोई कंपनी या सरकार किसी देश में नयी सुविधाओं का निर्माण करके नए उपक्रम की स्थापना करती है.
रिपोर्ट के अनुसार कॉमनवेल्थ देशों के बीच व्यापार साल 2020 तक बढ़कर 700 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा और इसका भारत की आर्थिक तरक्की में अच्छा योगदान रहेगा.