नई दिल्ली- 15 दिन अस्पताल में भर्ती रही इस बच्ची को आखिरकार बचाया नहीं जा सका। इलाज के लिए हॉस्पिटल ने करीब 16 लाख रुपए वसूले। पैरेंट्स को 20 पेज का बिल थमाया गया था। ओवरचार्ज के आरोपों पर फोर्टिस ने कहा कि इलाज में सभी स्टैंटर्ड मेडिकल प्रोटोकॉल फॉलो किए गए थे। इस मामले पर यूनियन हेल्थ मिनिस्टर जेपी नड्डा ने हेल्थ सेक्रेटरी से जांच करने को कहा। उन्होंने हॉस्पिटल से रिपोर्ट भी मांगी। बच्ची के पिता के दोस्त ने जो ट्वीट किए, उनमें कहा गया कि हॉस्पिटल ने आद्या के इलाज के दौरान 2700 दस्तानों का इस्तेमाल किया। 660 सिरिंज का भी इस्तेमाल किया। यानी 7 साल की बच्ची के लिए रोजाना 40 सीरिंज इस्तेमाल हुई। ये तब भी होता रहा जब 5 दिन से जब बच्ची वेंटिलेटर पर थी और उसके पैरेंट्स लगातार MRI/CT स्कैन कराने की गुजारिश कर रहे थे ताकि यह पता चल सके कि उनकी बेटी जिंदा भी है या नहीं। ट्विटर हैंडल से हुए ट्वीट्स के मुताबिक, ”शुगर स्ट्रिप्स 13 रुपए रुपए में मिलती है। हॉस्पिटल ने एक स्ट्रिप का 200 रुपए का बिल बनाया। एक स्ट्रिप 500 रुपए की थी। बाद में परिवार से दूसरे ब्रांड की सात गुना ज्यादा कीमत वाली स्ट्रिप का चार्ज लिया गया। हॉस्पिटल हर दिन के खर्च का ब्रेकअप आज तक नहीं दे पाया।हॉस्पिटल ने 15 से 20 लाख रुपए के प्रोसिजर वाला फुल बॉडी प्लाज्मा ट्रांसप्लांट करने का सुझाव दिया। जबकि सीटी स्कैन में कहा गया था कि 70 फीसदी से ज्यादा ब्रेन डैमेज है। जब परिवार ने इसका लॉजिक पूछा तो कहा गया कि ट्रांसप्लांट करने से बाकी ऑर्गन रिकवर हो सकते हैं। बच्ची के पिता जयंत सिंह ने कहा, ”15 दिन इलाज के बदले हमें 16 लाख का बिल चुकाने को कहा गया। मैं चाहता हूं कि जो चार्ज नियमों के हिसाब से सही हैं, वही लिए जाएं। इस मामले में सरकार से जांच और कार्रवाई की अपील करता हूं ताकि कोई और मेरी तरह परेशान ना हो।