हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी), पूर्व में हरियाणा अर्बन डेवेलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) प्राधिकरण के द्वारा अम्बाला सेक्टर 7 में रिहायशी इलाके में अतिक्रमण करने वालों को उनकी प्रॉपर्टी को बारी बारी चेतावनी देने के बाद रिज़ूम करने के आदेश निकाले गए थे. जिसके तहत अतुल जैन और अमित जैन निवासी 908 सेक्टर 7 अम्बाला सिटी ने माननीय हाई कोर्ट में जनवरी 22, 2021 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के नोटिस के खिलाफ स्टे के लिए केस CWP-1399-2021 डाला परन्तु जब वहां स्टे नहीं हो पा रहा था तो चालाकी से कानून को धोखा देकर अम्बाला जिला कोर्ट में भी उसी नोटिस के आधार पर 4-10-2021 को केस डाल कर अतिक्रमण हटाने के आदेश के खिलाफ स्टे ले लिया. जबकि सेक्शन 50 हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) एक्ट 1977 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया प्रत्येक आदेश या निर्देश या पारित आदेश या इस अधिनियम के तहत प्राधिकरण या उसके अधिकारी द्वारा जारी नोटिस अंतिम होगा. जिस पर किसी मुकदमे या अन्य कानूनी कार्यवाही में सवाल नहीं उठाया जाएगा। इस अधिनियम द्वारा सशक्त कोई प्राधिकरण या उसके अधीन बनाए गए नियम या विनियम पर किसी भी सिविल कोर्ट को किसी भी मामले के संबंध में किसी भी मुकदमे या कार्यवाही पर विचार करने का अधिकार नहीं होगा। अब विषय यह है कि जब सब कुछ कानून में स्पष्ट लिखा हुआ है तो किस वजह से कानून से बाहर जाकर सब नियमों को नजरअंदाज कर अतिक्रमण करने वालों को जिला कोर्ट स्टे दे रहा है, जिसकी पावर उनके पास नहीं है. इस तरह से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के अधिकारी और उनके द्वारा नियुक्त वकील पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है कि कोर्ट में उनकी उपस्थिति में ऐसा आदेश कैसे जारी हुआ? क्या उन्होंने कोर्ट को बताया नहीं कि यह सब जिला कोर्ट की जूरिस्डिक्शन में नहीं आता ?
