बाड़मेर जिले में अपराधियों के हौंसले कितने बुलंद हैं इस बात का अंदाजा आरटीआई कार्यकर्ता पर हुए जानलेवा हमले से स्पष्ट है, निःसंदेह अपराधियों में पुलिस का भय नहीं है तभी ऐसी बड़ी वारदातों को अंजाम दिया जा सकता है। जानकारी के अनुसार मामला कुछ इस प्रकार है बायतु के गिड़ा थानांतर्गत परेऊ गांव के पास स्कार्पियो संवार होकर आए बदमाशों ने एक आरटीआई कार्यकर्ता का अपहरण कर सुनसान जगह पर ले जाकर लोहे की सरियों से मारपीट की, पैरों में कीलें तक ठोक दी और उनकी दरिंदगी यहीं तक नहीं रूकी उन्होने पीड़ीत को पेशाब पिलाने जैसी शर्मनाक हरकत भी की। गंभीर रूप से घायल आरटीआई कार्यकर्ता को अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद बालोतरा और फिर बालोतरा से जोधपुर रेफर कर दिया गया है। हाल ही में पीड़ित ने अवैध शराब बिक्री को लेकर पुलिस को शिकायत की साथ ही साथ ग्राम पंचायत में हुए कुछ कामों को लेकर घोटालों की जांच के मकसद से आरटीआई दायर की पीड़ित के अनुसार इसी के चलते हमला किया गया है। पीड़ित के साथ हुई बर्बरतापूर्वक मारपीट मे दोनों पैर कई जगह से फैक्चर बताएं जा रहे है और पूरे शरीर पर दिख रहे घाव पावों में किये गये छेद आरोपियों की हैवानियत को साफ तौर पर दिखा रहे है।
पीड़ित की रिपोर्ट के अनुसार जसोड़ो की बेरी परेऊ गांव निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट अमराराम पुत्र किरताराम मंगलवार को जोधपुर से अपने गांव के बस स्टैंड पर उतरने के बाद अपने घर की और जा रहा था कि इस दौरान स्कार्पियों गाड़ी में सवार होकर आए 6-7 हमलावरों ने उसे जबरन गाड़ी में डाल कर सुनसान जगह पर ले जाकर लोहे के सरियों व लाठियों से मारपीट की, उसके पावों में कीलों से छेद कर दिये गये व इसके बाद उसे पेशाब पिला दिया गया और मरे समान समझकर पीड़ीत को वापस रास्ते पर लाकर फंेक दिया गया। युवक के कराहने पर किसी ने पीड़ित के परिवार को सूचना दी और उसे परेऊ अस्पताल ले गए वहां पर प्राथमिक उपचार के बाद मंगलवार रात्रि को बालोतरा रेफर कर दिया गया जहा हालात गंभीर होने के कारण बुधवार को जोधपुर रेफर कर दिया गया। फिलहाल जोधपुर स्थित एक अस्पताल में अमराराम का इलाज चल रहा है।
पूरे मामलें में पुिलस को शिकायत भी दी गयी है, खुद पुलिस अधीक्षक ने मामलें में जल्द और सख्त कार्यवाही का आश्वासन भी दिया है, पर मामले को देखा जाए तो जिन के विरूद्ध पीड़ीत ने शिकायतें दी उनमें वर्तमान सरपंच, पूर्व सरपंच सहित शराब माफिया का नाम है, सवाल बड़ा यह है क्या इन रसूखदारों के खिलाफ पुलिस वाकई सक्ष्त कार्यवाही करेगी या पद पैसे और सत्ता की ताकत पीड़ीत को न्याय मिलने में बाधा बनने मे सक्षम होंगे ? ये सवाल यहां इसलिये लाजमी हो जाता है कि जिन मामलों की शिकायतें और आरटीआई पीड़ीत कार्यकर्ता ने लगाई वे मामले खुलेआम हुए हैं तो क्या संबंधित विभागों को उनकी जानकारी नहीं थी ? और क्या शिकायत से पहले उन पर किसी ने घ्यान देना उचित समझा ? ऐसे में उन्ही लोगों की खिलाफ अब त्वरित व उचित कार्यवाही होगी इस पर सवाल तो जरूर बनता है। इसका उत्तर होने वाली कार्यवाही खुद ही दे देगी।