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स्कूलों में एन.सी.ई.आर.टी की किताबें ही लगे:-दमनप्रीत सिंह फीस वृद्धि पर अंकुश जरूरी। बच्चों की ड्रेस के रेट निर्धारित हो

Jagdeep Singh by Jagdeep Singh
April 9, 2022
in Ambala
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निजि स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए सख्त कानून जरूरी:-दमनप्रीत
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निजी स्कूलों के बच्चों के अभिभावकों की फीस वृद्धि, निजी पब्लिशर्स की किताबों की खरीद व प्रत्येक स्कूल की सम्बंधित दुकान से ही ड्रेस खरीदने की अनिवार्यता सम्बन्धी पीड़ा व खर्च को देखते हुए उकनी पीड़ा को सांझा करते हुए इनैलो कार्यकर्ता एडवोकेट दमनप्रीत सिंह ने कहाकि अभिभावकों के हकों के सरंक्षण के लिए निजी शिक्षण संस्थाओं पर नियमन व नियंत्रण अति आवश्यक है। बच्चे देश का भविष्य है इसलिए उनके निर्माण व विकास के प्रति प्रत्येक नागरिक के साथ साथ सरकार की जिम्मेवारी भी अतिआवश्यक है। भारत मे केंद्र व प्रदेश सरकारो की डिलमुल नीतियों के कारण शिक्षा का व्यवसायीकरण होता जा रहा है जिसके कारण गरीब व्यक्तियों के बच्चों की शिक्षा बहुत मुश्किल हो गयी है। प्रत्येक व्यक्ति का एक ही सपना होता है कि उसके बच्चे की शिक्षा उच्च व उत्तम हो और उसका बच्चा उससे भी अधिक काबिल बने। महंगाई के इस दौर में जहां पहले से कोरोना महामारी की मार के कारण अधिकतर अभिभावकों की या तो नोकरी चली गयी या फिर उनकी आमदन के स्त्रोत में कमी आई है वहां शिक्षा के छेत्र में निजी संस्थाओं के गैरआवश्यक खर्च व लूट के कारण अधिकतर अभिभावक दुखी, तंग व परेशान हैं। उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकारों से मांग की कि प्रत्येक बच्चे की शिक्षा बिना किसी जाति,धर्म के भेदभाव के निशुल्क होनी चाहिए ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी व उत्तम शिक्षा दे सके और देश का भविष्य बच्चे देश की प्रगति व विकास में योगदान दे सकें। उन्होंने कहाकि सब्जी स्कूलों में चाहे निजी हो या सरकारी एन.सी.ई.आर.टी की किताबें अनिवार्यता लगे, निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर अंकुश लगे और सार्वभौमिक नीति बने ताकि मनमानी फीस वृद्धि न हो सके। निजी स्कूलों के बच्चों की ड्रेस के रेट भी निर्धारित हो। आज की व्यवस्था में निजी स्कूलों के अभिभावकों स्तिथि दर्दनाक है। बैंकों न अन्य निजी संस्थानों से ऋण लेकर बच्चों की पढ़ाई की जा रही है। अच्छी व्यवस्था करना सरकारी की प्राथमिक जिम्मेदारी है लेकिन सरकार बेफजूल की योजनाओं पर जनधन बर्बाद करने की बजाए यदि सरकारी स्कूलों को अच्छा बनाकर शिक्षा व्यवस्था सुधारने की व्यवस्था करेगी तो हमारे देश की व्यवस्था बदलेगी। हरियाणा सरकार ने मॉडल संस्कृति स्कूल खोलने की व्यवस्था तो की है लेकिन उसमें भी 500 रुपये दाखिला व 200 रुपये प्रतिमाह की फीस निर्धारित करना गलत है। मॉडल संस्कृति स्कूलों की पढ़ाई व्यवस्था भी उत्तम होनी चाहिए। विशेषतौर पर सरकार से अपील करते हुए उन्होंने कहाकि हमे शिक्षा व्यवस्था ऐसी दो जिससे गरीब से गरीब व्यक्ति का बच्चा अपनी इच्छानुसार उच्च व सर्वोत्तम शिक्षा ग्रहण कर सके।

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