रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के मुद्दे पर अमेरिका ने भारत से अपनी रक्षा तकनीक सुरक्षा प्रक्रिया को मजबूत करने को कहा है। ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका के करीबी भागीदार होने के लिए भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी की अपनी खरीद और सुरक्षा प्रक्रियाओं को मजबूत करने की जरूरत है।
भारत जमीन से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे शक्तिशाली एस-400 मिसाइल प्रणाली रूस से खरीद रहा है और अमेरिका इसके खिलाफ है। कुछ ही दिन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भरोसा जताया कि भारत को यह मिसाइल समय पर मिलेगा। अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर मीडिया के सवालों के जवाब में भारत द्वारा इस प्रणाली को प्राप्त करने के लिए सीधे कुछ नहीं कहा, लेकिन भारत के साथ सहयोग करने में सुरक्षा मुद्दों को उठाया।
अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूसी हथियारों व प्रौद्योगिकी पर भारत की निर्भरता को स्वीकार करते हुए अमेरिका के विदेश विभाग के एक अधिकारी ने दोहराया कि रूस से प्रमुख हथियार खरीदने वाले देशों पर अमेरिकी कानून के तहत प्रतिबंध के प्रावधान हैं। मगर भारत के मुद्दे पर उन्होंने साफ किया कि ट्रंप प्रशासन की भारत पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है।
भारत ने वर्ष 2015 में एस-400 ‘ट्रिम्प्फ’ को खरीदने की इच्छा जताई थी। भारत पहली किश्त के तौर पर 6000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है। इसके बाद पिछले साल पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इस संबंध में 5.43 बिलियन डॉलर (40,000 करोड़ रुपए) के करार पर हस्ताक्षर हुए। भारत को रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की पहली खेप साल 2020 के आखिरी तक मिलने की उम्मीद है।