नई दिल्ली 16 सितम्बर 2025
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका ने आज जारी बयान में केंद्र सरकार द्वारा नवंबर माह में पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा ननकाना साहिब में गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व समारोह में सिख जत्थे को न भेजने के निर्णय पर गहरी चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि वर्षों से चली आ रही आस्था और श्रद्धा केवल सिखों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे विश्व में गुरु नानक साहिब के चरणों से जुड़े प्रत्येक श्रद्धालु की है। हर साल श्रद्धालुओं की इच्छा होती है कि वे गुरु साहिब के जन्मस्थान ननकाना साहिब जाकर प्रकाश पर्व समारोह में शामिल हों। अब सुरक्षा कारणों का हवाला देकर केंद्र सरकार द्वारा इस यात्रा पर रोक लगाने की कोशिश की गई है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि कम से कम एक जत्थे को तो अवश्य जाने की अनुमति दी जाए।”
कालका ने सुझाव दिया कि यदि वीज़ा की संख्या लगभग 3,000 से घटाकर 500 भी कर दी जाए और यात्रा का समय 10 दिनों की जगह केवल 5 दिन ही सीमित कर दिया जाए, तब भी संगत को इस धार्मिक यात्रा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को अपने आदेश पर पुनर्विचार और संशोधन करना चाहिए। डीएसजीएमसी इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत करेगी और ज़रूरत पड़ने पर व्यक्तिगत स्तर पर भी मुलाकात की जाएगी।
श्री कालका ने केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह को पत्र लिखकर भी अपील की है कि गुरु नानक साहिब के लाखों श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए इस यात्रा की अनुमति दी जाए। इससे पहले अगस्त माह में भी उन्होंने गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को इस संबंध में पत्र लिखा था।
अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “यह सोचने वाली बात है कि यदि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भारतीय टीम के साथ मैच खेल सकती हैं, तो सिख संगत की भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें भी ननकाना साहिब जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार को इस संवेदनशील मामले पर संतुलित निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि संगत की धार्मिक भावनाओं को ठेस न लगे ।
उन्होंने कहा कि यह भी एक बड़ी चिंता की बात है कि करतारपुर साहिब कॉरिडोर अभी भी बंद है। यह कॉरिडोर कई वर्षों की अरदासों के बाद खोला गया था, इसलिए इसे जल्द से जल्द फिर से खोलने की मांग भी की जाएगी।
कालका ने यह भी स्वीकार किया कि यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार पर है। “हम केवल सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते क्योंकि यदि कोई अप्रिय घटना घटती है तो यात्रियों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सरकार की बनती है। दोनों पक्षों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। लेकिन मेरा मानना है कि यात्रियों की संख्या घटाना, दिन कम करना और दोनों देशों के बीच माहौल सुधारने की दिशा में कदम उठाना इस समय सबसे बेहतर समाधान हो सकता है।”
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