चंडीगढ़. 17 अगस्त, 2025
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार हरमीत सिंह कालका ने आज मांग की कि बंदी सिखों को, जो पिछले 30-35 सालों से देश की अलग-अलग जेलों में बंद हैं और अपनी सज़ा पूरी कर चुके हैं, तुरंत रिहा किया जाए।
कालका ने कहा कि यह मांग 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के बाद और भी मजबूत हो गई है, जिसमें अदालत ने चिंता व्यक्त की कि कई कैदी सज़ा पूरी करने के बाद भी जेलों में डटे हुए हैं। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया कि जो भी कैदी किसी अन्य केस में शामिल नहीं है, उसे तुरंत रिहा किया जाए।
स. कालका ने कहा, “बंदी सिखों की रिहाई की मांग को अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद और अधिक बल मिला है।” प्रेस बयान में हरमीत सिंह कालका ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस आदेश की प्रति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को भेजी जाए ताकि पता लगाया जा सके कि कोई भी आरोपी या दोषी व्यक्ति सज़ा पूरी होने के बाद भी जेल में तो नहीं है। उन्होंने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट के ये आदेश सख्ती से लागू किए जाने चाहिए।”
स. कालका ने ज़ोर देते हुए सिख कैदियों की रिहाई के लिए भावुक अपील की।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया कि “यदि कोई दोषी अन्य किसी केस में शामिल नहीं है तो उसकी रिहाई के लिए आदेश जारी किए जाएं। इसके साथ ही एक प्रति राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भेजी जाए, ताकि यह आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों तक पहुंचाया जा सके और वे अपनी-अपनी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से इस फ़ैसले को लागू कर सकें।”
स. हरमीत सिंह कालका ने कहा कि कई सिख कैदी ऐसे भी हैं जो अपनी गिरफ्तारी के बाद न तो कभी पैरोल पर बाहर आए और न ही फर्लो पर घर जा सके। लेकिन अब वे अपनी सज़ा पूरी कर चुके हैं। “वे बदले हुए इंसान हैं और हालात भी अब वैसे नहीं हैं जैसे उस समय थे जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था,” कालका ने कहा और विभिन्न राज्य सरकारों तथा केंद्र से अपील की कि बंदी सिखों की रिहाई के लिए लंबित मामलों को तुरंत निपटाया जाए।
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