चंडीगढ़, 12 जुलाई (ओज़ी न्यूज़ डेस्क): नए कानूनों के लागू होने के बाद, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि व्यक्ति अभी भी निरस्त किए गए कानूनों के तहत नए मामले और आवेदन दायर कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश शील नागू द्वारा उनकी पदोन्नति के तुरंत बाद घोषित इस फैसले का उद्देश्य पुरानी और नई कानूनी प्रणालियों के बीच एक सुचारू संक्रमण सुनिश्चित करना है, जिससे बिना किसी प्रक्रियात्मक बाधाओं के न्याय तक निर्बाध पहुंच की अनुमति मिलती है।
आदेश में विशेष रूप से नए कानूनों, अर्थात् ‘भारतीय न्याय संहिता, 2023’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ और ‘भारतीय सक्षम अधिनियम, 2023’ का उल्लेख किया गया है, जो 1 जुलाई से लागू हुए हैं। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि नए अधिनियमित कानूनों के प्रावधानों या निरस्त किए गए कानूनों के तहत उच्च न्यायालय में मामले और आवेदन दायर किए जा सकते हैं, जैसे कि भारतीय दंड संहिता, 1860; दंड प्रक्रिया संहिता, 1973; और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872।
किसी भी चिंता को कम करने के लिए, उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से उच्च न्यायालय रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह नए कानूनों या पुराने कानूनों के तहत मामलों को दर्ज करने पर कोई आपत्ति न उठाए। इस कदम का उद्देश्य इस संक्रमणकालीन अवधि के दौरान न्याय चाहने वाले व्यक्तियों को स्पष्टता और आश्वासन प्रदान करना है, यह सुनिश्चित करना कि कानूनी कार्यवाही सुचारू रूप से और अनावश्यक जटिलताओं के बिना जारी रह सकती है।