नयी दिल्ली, 31 अगस्त (प्रेस की ताकत ब्यूरो)
केंद्र ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव ‘किसी भी समय’ हो सकते हैं।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि जम्मू और कश्मीर का केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा ‘अस्थायी’ है और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में ‘कुछ समय’ लगेगा। इसकी समय सीमा नहीं बताई जा सकती। मेहता ने पीठ को बताया कि जम्मू-कश्मीर में पंचायत, नगर निकाय और फिर विधानसभा स्तर पर चुनाव होगा। उन्होंने कहा, ‘भारत निर्वाचन आयोग और राज्य के चुनाव आयोग को निर्णय लेना है कि कौन सा चुनाव पहले होगा और कैसे होगा। मतदाता सूची एक महीने में पूरी अपडेट हो जाएगी।’
मेहता ने कहा कि 2018 की तुलना में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में 45.2 प्रतिशत की कमी आई है और पूर्ववर्ती राज्य में सबसे बड़ी चिंताओं में से एक रही घुसपैठ में 90.2 प्रतिशत की कमी हो गई है। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मो. अकबर लोन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ द्वारा केंद्र के आंकड़ों को रिकॉर्ड करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा आंकड़े अदालत के ‘दिमाग को प्रभावित करेंगे’ जो अनुच्छेद 370 के संवैधानिक मुद्दे की पड़ताल कर रही है।