चंडीगढ़, 24 जून (ओज़ी न्यूज़ डेस्क): हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कार्रवाई करने का निश्चय किया है, जिसमें हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती परीक्षाओं में अतिरिक्त अंक देने की नीति को अमान्य करार दिया गया था। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, सीएम सैनी ने कहा कि उनकी सरकार दो विकल्पों पर विचार कर रही है: शीर्ष अदालत में समीक्षा याचिका दायर करना या विधानसभा में विधेयक पेश करना। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन भाजपा सरकार ने आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक प्रदान करने के लिए 2018 में योजना शुरू की थी। सीएम सैनी ने आगे कहा कि उनकी सामाजिक-आर्थिक नीति ‘अंत्योदय’ के सिद्धांत में निहित है और वे गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यदि आवश्यक हो, तो वे इस मामले के समाधान के लिए विधानसभा में एक विधेयक पुरस्थापित करने के लिए तैयार हैं। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने हालांकि सरकार की नीति को लोकलुभावन कदम माना और उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसने हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित सामाजिक-आर्थिक मानदंडों को सरकारी नौकरियों में उम्मीदवारों के विशिष्ट समूहों को अतिरिक्त अंक देने के लिए असंवैधानिक घोषित किया था।