सियासी तौर पर अजित पवार अब तक बतौर उप मुख्यमंत्री अपने मुख्यमंत्रियों के लिए ‘बैड लक’ साबित हुए हैं. अजित पवार के डिप्टी सीएम रहते हुए कोई भी नेता 5 साल तक मुख्यमंत्री नहीं रह पाए.
शिवसेना (यूपीटी) के मुखपत्र सामना ने भी एकनाथ शिंदे की कुर्सी को खतरे में बताया है. शिवसेना के दावे के पीछे 2 मुख्य वजह भी है. पहला, शिंदे समेत 16 विधायकों की सदस्यता पर संकट और दूसरा अजित जिस मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री बने, वो 5 साल तक अपने पद पर नहीं रहे.
इतना ही नहीं, अजित के कई मुख्यमंत्री बॉस बाद में राजनीति के नेपृथ्य में चले गए तो कई का सियासी कद घट गया. इस स्टोरी में आइए जानते हैं, कैसे मुख्यमंत्रियों के लिए बैड लक साबित हुए हैं अजित पवार…
पहले जानिए शिंदे के हटने की अटकलें क्यों?
शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता का मामला स्पीकर के पास है. सुप्रीम कोर्ट ने तय समय में इस पर फैसला लेने के लिए विधानसभा स्पीकर से कहा था लेकिन 4 महीने बाद भी फैसला नहीं हो पाया है.
4 जुलाई को उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उद्धव गुट ने कोर्ट से कहा है कि स्पीकर को आदेश विधायकों की सदस्यता रद्द के लिए तुरंत आदेश दिया जाए.
इसी बीच समाचार एजेंसी रेडिफ डॉट कॉम ने दावा किया है कि 10 अगस्त से पहले राहुल नार्वेकर सदस्यता पर फैसला कर सकते हैं और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद से हट सकते हैं. एजेंसी के मुताबिक 11 अगस्त को अजित पवार मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं.