दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भारत में एक ऐतिहासिक संस्था है, जो दिल्ली सिख गुरुद्वारा एक्ट, 1971 के अंतर्गत कार्यरत है। यह संस्था दिल्ली शहर में गुरुद्वारों और सिख धार्मिक स्थलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालने के साथ-साथ शैक्षिक संस्थानों, अस्पतालों, वृद्धाश्रमों, पुस्तकालयों और अन्य चैरिटेबल संस्थाओं का संचालन भी करती है।
यह संस्था केवल गुरुद्वारों तक सीमित नहीं, बल्कि सिख धर्म के आध्यात्मिक, शैक्षिक और सामाजिक मूल्यों की रक्षा एवं प्रसार के लिए सतत प्रयासरत रहती है। नई पीढ़ी को न केवल आधुनिक शिक्षा, बल्कि सिख धर्म के महान विरसे से भी परिचित कराने के उद्देश्य से कमेटी ने ग्रीष्मकालीन गुरमत कैंपों का आयोजन किया, जिनका मकसद बच्चों और युवाओं को अपने धर्म और गुर इतिहास से जोड़ना था।
इस वर्ष 2025 में ग्रीष्मावकाश के दौरान दिल्ली एनसीआर सहित हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और विभिन्न राज्यों में धार्मिक जागरूकता की एक व्यापक मुहिम चलाई गई। इसका मुख्य उद्देश्य था – युवाओं को गुरमत शिक्षा से जोड़ना और सिख धर्म के अमूल्य संदेश की ओर प्रेरित करना।
इस विशेष अभियान के अंतर्गत 250 से अधिक गुरमत कैंपों का सफल आयोजन हुआ, जिनमें हजारों विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
बच्चों को गुरबाणी पाठ और कीर्तन की शिक्षा दी गई। सही उच्चारण के साथ पाठ करने की कला सिखाई गई। रागी जथों के साथ कीर्तन का अभ्यास कराया गया।
सिख इतिहास, महान गुरसिखों और गुरु साहिबानों के जीवन प्रसंगों से युवाओं में चेतना जागृत की गई।सेवा, सिमरन, सच्चाई और विनम्रता जैसे सिखी मूल्यों को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी गई। गुरमत कविता, पेंटिंग, गुरुद्वारा प्रबंधन और अन्य रचनात्मक प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका ने कहा कि युवा हमारा भविष्य हैं और उन्हें अपनी धार्मिक जड़ों से जोड़ना कमेटी की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि ये कैंप न केवल गुरमत शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि आपसी प्रेम, एकता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना भी जागृत करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस वर्ष की भागीदारी पिछले वर्षों से कहीं अधिक रही, जो इस बात का संकेत है कि युवाओं में सिख धर्म के प्रति बढ़ता रुझान एक उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा करता है।
इन प्रयासों से स्पष्ट है कि आधुनिक तकनीक और प्राचीन गुरमत शिक्षा का संगम करके युवा पीढ़ी के मन में सिख धर्म का अटल बीज बोया जा सकता है।
विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के वे क्षेत्र, जहाँ धर्म परिवर्तन की बातें उठाई जा रही थीं, वहाँ इन कैंपों ने गहरी छाप छोड़ी। गुरमत कैंपों ने यह साबित किया कि सिख कौम अपने धर्म के प्रति प्रतिबद्ध है और नई पीढ़ी पूरे जोश से गुरमत जीवन शैली अपनाने के लिए तत्पर है।
इन कैंपों की सफलता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि बच्चों ने स्वयं अपने माता-पिता से आग्रह किया कि वे छुट्टियाँ पहाड़ों पर नहीं, बल्कि गुरमत कैंपों में बिताना चाहते हैं। परिणामस्वरूप, इस वर्ष 250 कैंपों में 20,000 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।
एक कैंप की अनूठी मिसाल यह रही कि केवल 5 वर्ष के एक बच्चे, जिसने जपुजी साहिब और कई अन्य बाणियाँ कंठ की हुई थीं, को विशेष सम्मान दिया गया और उसकी शिक्षा 12वीं तक गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूल में निःशुल्क कराने की घोषणा की गई
सरदार हरमीत सिंह कालका ने कहा कि हमारा मुख्य ध्येय यह होना चाहिए कि गुरु ग्रंथ साहिब जी का संदेश और हमारे गुरुओं द्वारा बताए सिद्धांत घर-घर तक पहुँचें। सिखों का गौरवशाली इतिहास हमारी नई पीढ़ी को ज्ञात होना चाहिए।
उन्होंने गर्व से कहा कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का वैश्विक स्तर पर सम्मान इसीलिए है क्योंकि इसने कभी भी धर्म के मुद्दों पर समझौता नहीं किया और सदैव धर्म प्रचार-प्रसार को प्राथमिकता दी। दिल्ली का समृद्ध इतिहास, विशेषकर फतेह दिवस मनाने की परंपरा, इसी उद्देश्य से है कि हमारी नई पीढ़ी उन महान सिखों को याद रखे जिन्होंने अनेक बार दिल्ली को फतह किया और इतिहास में अमर हुए।
यह अनूठी पहल न केवल गुरबाणी के साथ नई पीढ़ी को जोड़ रही है, बल्कि उनमें सेवा, समर्पण और आध्यात्मिक चेतना का बीज बो रही है।
मनमोहन सिंह
लोक संपर्क सलाहकार
उप सचिव लोक संपर्क (सेवानिवृत्त)
पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटियाला
फोन: 8437725172